पहली अप्रैल से बदल जाएंगे ये नियम, सैलरी बढ़ने से पीएफ के योगदान में होगा इजाफा
नए श्रम कानून के तहत ग्रैच्युटी की समय-सीमा भी घटाई जा रही है।
नए वित्त वर्ष यानी पहली अप्रैल, 2021 से कई ऐसे नियम-कानून बदल जाएंगे, जिनका असर किसी न किसी रूप में आम आदमी, कर्मचारियों व कारोबारियों से लेकर पेंशनधारकों पर पड़ने वाला है। आयकर की मौजूदा दरें व स्लैब अपरिवर्तित रहने के बावजूद अगले महीने से नए श्रम कानून लागू होने के साथ ही वेतन के ढांचे में परिवर्तन देखने को मिलेगा। इससे, कर्मचारियों के भविष्य निधि (पीएफ) में पहले की तुलना में अधिक योगदान मिलेगा। नए श्रम कानून के तहत बेसिक सैलरी का हिस्सा बढ़ाकर कुल वेतन का कम से कम 50 फीसद करना होगा। इससे 50 फीसद से कम हिस्सेदारी वाले कर्मचारियों को फायदा होगा। बेसिक सैलरी बढ़ने से पीएफ के योगदान में इजाफा होगा। इस तरह, उनकी बचत बढ़ेगी।
ग्रैच्युटी अवधि घटेगी : नए श्रम कानून के तहत ग्रैच्युटी की समय-सीमा भी घटाई जा रही है। फिलहाल, एक कंपनी में लगातार पांच साल तक काम करने पर ग्रैच्युटी का लाभ मिलता है।
अधिक पीएफ योगदान पर टैक्स : नए वित्त वर्ष 2021-22 में 2.5 लाख रुपये से अधिक के पीएफ योगदान पर आयकर के तहत टैक्स का प्रविधान लागू किया गया है। इस दायरे में सामान्य तौर पर प्रति माह दो लाख रुपये से अधिक की कमाई वाले आयकरदाता आएंगे।
बुजुर्गो को आइटीआर भरने से छूट : 75 वर्ष की उम्र पार कर चुके बुजुर्ग पेंशनधारकों को इनकम टैक्स रिटर्न (आइटीआर) दाखिल करने से छूट दी गई है। यह सुविधा केवल उन्हें प्राप्त होगी जिनका आय स्रोत पेंशन व इसपर मिलने वाला ब्याज है।
एलटीसी इनकैशमेंट अवधि होगी खत्म : अवकाश यात्रा रियायत (एलटीसी) वाउचर के तहत कर्मचारियों को मिलने वाले छूट की अवधि 31 मार्च, 2021 तक की है। यानी अगले महीने से इसका लाभ नहीं लिया जा सकेगा।
ई-इनवॉयस होगा अनिवार्य : बिजनेस टू बिजनेस (बीटूबी) कारोबार के तहत पहली अप्रैल से ऐसे सभी कारोबारियों के लिए ई-इनवॉयस अनिवार्य हो जाएगा, जिनका टर्नओवर 50 करोड़ रुपये से अधिक है।