महंगाई बढ़ने पर रिजर्व बैंक का बयान- मुद्रास्फीति दर के लक्ष्य की समीक्षा का वक्त नजदीक
देश में बढ़ती महंगाई के बीच रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: देश में बढ़ती महंगाई के बीच रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि मुद्रास्फीति दर के तय लचीले लक्ष्य की समीक्षा का समय नजदीक आ रहा है। देश की केंद्रीय बैंक के अनुसार महंगाई दर या मुद्रास्फीति का मौजूदा चार प्रतिशत का लक्ष्य पांच साल के लिए उपयुक्त है। यह अवधि मार्च 2021 में पूरी हो रही है। मुद्रास्फीति के मौजूदा लक्ष्य को चार प्रतिशत पर रखा गया है और इसमें दो प्रतिशत तक की घट-बढ़ का दायरा तय है। यानी यह अधिकतम छह फीसदी व न्यूनतम दो फीसदी तक जायज मानी जा सकती है।
2016 से शुरू की गई यह व्यवस्था
देश में मुद्रास्फीति लक्ष्य का दायरा तय करने की व्यवस्था को 2016 में अपनाया गया। इस व्यवस्था की 31 मार्च 2021 को समीक्षा की जानी है। रिजर्व बैंक की मुद्रा और वित्त पर जारी 2020-21 की रिपोर्ट में कहा गया है, 'मूल्य स्थिरता के लिए तय की गई मौजूदा आंकड़ागत व्यवस्था, जिसमें मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत की घट-बढ़ के दायरे के साथ चार प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया गया है।'
कोविड-19 के दौरान गड़बड़ाया आंकड़ों का संकलन
रिपोर्ट में यह अध्ययन अक्तूबर 2016 से लेकर मार्च 2020 की अवधि का है। इस दौरान ही देश में लचीले मुद्रास्फीति लक्ष्य (एफआईटी) व्यवस्था को औपचारिक रूप से लागू किया गया। इसमें कोविड- 19 महामारी की अवधि को अलग रखा गया है, क्योंकि इस दौरान आंकड़ों का संकलन गड़बड़ा गया था।
पहले नौ प्रतिशत थी मुद्रास्फीति दर
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि एफआईटी से पहले मुद्रास्फीति दर नौ प्रतिशत के उच्चस्तर पर थी, जो कि एफआईटी अवधि में घटकर 3.8 से लेकर 4.3 प्रतिशत की दायरे में आ गई। इससे यह संकेत मिलता है कि देश में मुद्रास्फीति के लिए चार प्रतिशत का लक्ष्य उपयुक्त है।
अधिकतम छह प्रतिशत का लक्ष्य उचित
अधिकतम छह प्रतिशत मुद्रास्फीति का लक्ष्य इसका उचित वहनीय दायरा है जबकि नीचे में दो प्रतिशत से ऊपर का इसका दायरा वास्तविक मुद्रास्फीति के इससे नीचे जाने वहनीय स्तर से नीचे जाने को प्रेरित कर सकता है। जबकि दो प्रतिशत से नीचे का दायरा वृद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे यह संकेत मिलता है कि नीचे में मुद्रास्फीति का दो प्रतिशत का दायरा उचित स्तर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एफआईटी की इस अवधि में समूचे मुद्रा बाजार में मौद्रिक प्रसार पूरा और तार्किक तौर पर बेहतर रहा, लेकिन बांड बाजार में यह पूर्णता से कुछ कम रहा।