छोटे कर्जदाताओं के लिए नियमन को सुसंगत बनाने पर विचार करेगी RBI
आरबीआइ ने शुक्रवार को कहा है कि वह छोटे कर्जदाताओं के लिए नियमन को सुसंगत बनाने पर विचार करेगा।
आरबीआइ ने शुक्रवार को कहा है कि वह छोटे कर्जदाताओं के लिए नियमन को सुसंगत बनाने पर विचार करेगा। असम माइक्रोफाइनेंस (उधारी का नियमन) विधेयक, 2020 के पास होने के बाद राज्य में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्ज संग्रह में कमी आई है। इस कानून को लेकर चिंता जताई गई है। आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र की बढ़ती भूमिका, अंतिम छोर तक कर्ज पहुंचाने तथा उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत ढांचे की जरूरत है। इसके लिए आरबीआइ एक परामर्श दस्तावेज जारी करेगा
दास ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि माइक्रोफाइनेंस संस्थाएं अंतिम जरूरतमंदों तक कर्ज पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने प्राथमिक शहरी सहकारी बैंकों (यूएसबी) के लिए एक विशेषज्ञ समिति की भी घोषणा की, जो इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए एक मध्यम अवधि का मसौदा प्रदान करेगा।
सरकारी बांड्स में सीधे निवेश कर सकेंगे छोटे निवेशक
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) छोटे निवेशकों को सरकारी बांड्स सीधे खरीदने की इजाजत देगा। इसका मकसद छोटे खुदरा निवेशकों को सरकारी बांड्स में सीधे निवेश के लिए प्रोत्साहित करना है। भारत ऐसी इजाजत देने के मामले में एशिया में पहला देश होगा। वर्तमान में दुनिया के कुछ ही देशों में छोटे निवेशकों को ऐसी छूट मिली हुई है। आरबीआइ के इस फैसले से सरकार को कर्ज लेने के लिए एक बड़ा साधन भी मिल जाएगा। अगले वित्त वर्ष में सरकार ने 12 लाख करोड़ रुपये उधार लेने का लक्ष्य रखा है। इसकी पूर्ति के लिए भी यह फैसला बेहद अहम है।
आरबीआइ को उम्मीद है कि उसके इस कदम से खासतौर से गिल्ट बाजार और बड़े पैमाने पर डेट बाजार का विस्तार होगा। इससे आरबीआइ ने सरकार के सामने उधार लेने का एक बड़ा विकल्प पेश किया है। हालांकि, छोटे निवेशकों द्वारा सरकारी बांड्स में निवेश की प्रक्रिया पूरी तरह आरबीआइ की निगरानी में होगी। इस समय आरबीआइ छोटे निवेशकों को बीएसई और एनएसई पर सरकारी बांड्स खरीदने की इजाजत देता है।
शुक्रवार को मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने और पहुंच को आसान बनाने के प्रयासों के तहत खुदरा निवेशकों को प्राइमरी और सेकेंडरी सरकारी सिक्युरिटीज बाजारों में सीधे ऑनलाइन पहुंच देने का फैसला किया गया है। वर्तमान में ब्रिटेन, ब्राजील और हंगरी में छोटे निवेशकों को सरकारी सिक्युरिटीज सीधे खरीदने-बेचने की छूट है।इस पर तीसरे पक्ष के माध्यम से नियंत्रण रखा जाता है।