हरितक्रांति की तर्ज पर अब होगी एवरग्रीन क्रांति, बजट में विशेष प्रविधान किया जाएगा, कृषि उद्यमों को दिया जाएगा प्रोत्साहन
देश को खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में विशेष प्रविधान किया जाएगा। खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए हरितक्रांति का नारा दिया गया
नई दिल्ली। देश को खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा प्रदान करने के लिए आगामी वित्त वर्ष 2022-23 के आम बजट में विशेष प्रविधान किया जाएगा। खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता के लिए हरितक्रांति का नारा दिया गया, उसी तर्ज पर आगामी बजट में एवरग्रीन क्रांति के नारे दिए जा सकते हैं। सरकार की चिंता देश में कुपोषण की समस्या को लेकर है। इसे गंभीर चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट प्रस्तावों में इसे प्राथमिकता दे सकती हैं।
देश की बड़ी आबादी को पर्याप्त मात्रा में अनाज भले ही मिल जाता हो, लेकिन उसमें जरूरी पौष्टिकता का अभाव उसके पोषण में असंतुलन पैदा करता है। खाद्यान की आयात निर्भरता खत्म करने के लिए देश में वर्ष 1960 और 70 के दशक में हरितक्रांति का नारा दिया गया, जिससे अगले एक दशक के भीतर ही भारत गेहूं और चावल की भारी पैदावार से पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गया।
यही नहीं देश में दूसरी हरितक्रांति का नारा दिया गया था, जिसका नतीजा यह रहा कि देश कई जिंसों का निर्यातक बन गया। देश में फिलहाल सिर्फ खाद्यान्न की पैदावार 30 करोड़ टन से अधिक होने लगी है, जो घरेलू खपत से बहुत अधिक है। सरप्लस पैदावार की वजह से ही कोरोना के इस विकट समय में भी देश की दो तिहाई आबादी को पिछले डेढ़ दो सालों से मुफ्त अनाज वितरित किया जा रहा है।
हरितक्रांति के बाद कृषि क्षेत्र में हुआ असंतुलित विकास गंभीर चुनौतियां लेकर सामने खड़ा है। भोजन में शामिल तीन प्रमुख तत्वों कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और फैट में से धीरे-धीरे दो तत्व छूमंतर हो गए। भोजन की ताली में कार्बोहाइड्रेट (अनाज) तो पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है , लेकिन अन्य जरूरी तत्वों फैट (खाद्य तेल) और प्रोटीन (दाल, चिकेन व अन्य जिंस) की कमी से कुपोषण की समस्या हो रही है।
देश वैश्विक हंगर इंडेक्स की सूची में निचले पायदान पर है, लेकिन सरकार थाली के बिगड़े इस असंतुलन को लेकर सतर्क है, जिसे ठीक करना उसकी प्राथमिकता में शामिल है। एवरग्रीन क्रांति के तहत सरकार कृषि क्षेत्र में खेती के असंतुलन को दुरुस्त करेगी। उन सभी फसलों की खेती पर जोर दिया जाएगा, जिससे खाद्य तेल और प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा गरीब से गरीब व्यक्ति को आसानी से उपलब्ध हो सके।
इसी के तहत तिलहन व दलहन फसलों की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। डेयरी उत्पादों की उपलब्धता बढ़ाई जाएगी। पोल्ट्री और मछली पालन को विशेष तरजीह दी जाएगी ताकि लोगों को भोजन में कार्बोहाइड्रेट के साथ जरूरी प्रोटीन और फैट की मात्रा को बढ़ाया जा सके। हालांकि इसी के तहत पहले चरण में स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों में पोषक तत्व मिश्रित चावल की आपूर्ति की जा रही है।
जबकि दूसरे चरण में अगले दो तीन वर्षों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सभी राशनकार्ड वाले उपभोक्ताओं को पोषक तत्व मिश्रित अनाज ही दिया जाएगा, लेकिन इस स्थिति से निपटने के स्थायी उपाय को एवरग्रीन क्रांति का नाम दिया जाएगा, इसमें उन फसलों और उत्पादों पर जोर दिया जाएगा, जिनसे गरीबों की थाली तंदुरुस्त होगी। इसके साथ ही बागवानी, पोल्ट्री, मत्स्य और डेयरी को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। परंपरागत फसलों में उन पर ज्यादा बल दिया जाएगा, जो पौष्टिकता से भरपूर हैं।