औद्योगिक इन्फ्रा पर 5 साल में तीन लाख करोड़ से ज्यादा होगा खर्च, राज्यों की रहेगी बड़ी हिस्सेदारी
अर्थव्यवस्था में तेजी
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: नई दिल्ली, अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च को सबसे अहम उपाय मान रही है। इस दिशा में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े सभी सेक्टर में अगले पांच साल के खर्च का अनुमानित ब्योरा तैयार कर लिया गया है। अकेले औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर पांच साल में 3,06,732 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस खर्च में राज्यों की बड़ी हिस्सेदारी रहेगी। औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत मुख्य रूप से मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब, इंडस्टि्रयल कॉरिडोर, इंडस्ट्रियल पार्क, टाउनशिप, कंवेशन सेंटर, यातायात की सुविधा शामिल हैं। इन्फ्रा डेवलपमेंट में सरकारी, निजी और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) जैसे विभिन्न प्रकार के मॉडल अपनाए जाएंगे।
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार का उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी 26 परियोजनाओं के विकास की जिम्मेदारी संभाल रहा है। इनमें से पांच परियोजनाओं पर अमल शुरू हो चुका है, चार परियोजनाएं विकासाधीन हैं और 17 परियोजनाओं का प्रारूप तैयार कर लिया गया है। इनमें से कई पर अगले वित्त वर्ष से अमल शुरू होगा। वित्त वर्ष 2021-22 में औद्योगिक इन्फ्रास्ट्रक्चर पर 42,558 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है।
वहीं, राज्यों के स्तर पर पांच साल में 111 औद्योगिक परियोजनाएं पूरी की जाएंगी। इनमें 27 परियोजनाओं पर अमल हो रहा है। विकासाधीन परियोजनाओं की संख्या 35 है और 49 परियोजनाएं शुरुआती स्तर पर हैं। इन 111 परियोजनाओं में सर्वाधिक आंध्र प्रदेश की हैं। वित्त वर्ष 2021-22 में डीपीआइआइटी के अधीन शुरू होने वाली परियोजनाओं में मुख्य रूप से गुजरात के साणंद स्थित इंटीग्रेटेड मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक्स हब (409 करोड़ खर्च 2021-22 में), विजाग-चेन्नई इंडस्टि्रयल कॉरिडोर के हिस्से के रूप में सिरीकलाहस्ती नोड (901 करोड़ रुपये खर्च 2021-22 में), विजाग-चेन्नई इंडस्टि्रयल कॉरिडोर के रूप में विजाग नोड (805 करोड़ रुपये खर्च 2021-22 में), कोच्चि- बेंगलुरु इंडस्टि्रयल कॉरिडोर का पलक्कड़-त्रिचूर नोड (815 करोड़ रुपये खर्च 2021-22 में), कोच्चि- बेंगलुरु इंडस्टि्रयल कॉरिडोर का कन्नूर नोड (2350 करोड़ रुपये खर्च 2021-22 में), भिवाड़ी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (756 करोड़ रुपये खर्च 2021-22 में) मुख्य रूप से शामिल हैं। इन परियोजनाओं के निर्माण में राज्यों के साथ सहभागिता की जाएगी।