भारतीय मोबिलिटी इंडस्ट्री का आकार 2030 तक डबल होकर 600 अरब डॉलर होने का अनुमान: रिपोर्ट
नई दिल्ली: भारतीय मोबिलिटी इंडस्ट्री का आकार 2030 तक दोगुना होकर 600 अरब डॉलर को पार कर सकता है, यह जानकारी शनिवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई। गूगल और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) द्वारा ‘भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025’ में जारी की गई थिंक मोबिलिटी रिपोर्ट में बताया गया कि इलेक्ट्रिक, शेयर्ड और कनेक्टेड मोबिलिटी जैसे उभरते आय स्रोत 100 अरब डॉलर का योगदान करने के लिए तैयार हैं, जो स्वच्छ, टिकाऊ गतिशीलता की ओर एक मजबूत कदम का संकेत है।
जैसे-जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की लोकप्रियता बढ़ रही है, हर तीन में से एक उपभोक्ता अपनी अगली नई गाड़ी की खरीद के लिए ईवी के विकल्प पर विचार कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि इंडस्ट्री प्लेयर्स को भारत के मोबिलिटी उपभोक्ता की तेजी से विकसित हो रही प्राथमिकताओं पहचाना चाहिए।
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि ईवी, डिजिटल और एआई में ग्लोबल इनोवेशन का प्रभावी ढंग से उपयोग करना ओईएम के लिए पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। सफल होने के लिए उन्हें अपनी प्रोडक्ट्स को भारतीय उपभोक्ताओं की विशिष्ट मांगों के अनुरूप बनाना होगा।" बड़ी बात यह है कि अब ईवी स्पेस में निर्णय लेने में महिलाओं की हिस्सेदारी 52 प्रतिशत है, जबकि आईसीई वाहनों के मामले में यह हिस्सेदारी 38 प्रतिशत से अधिक है।
गूगल इंडिया के ओमनी-चैनल बिजनेस के निदेशक भास्कर रमेश ने कहा, "मुनाफा कमाने के नए तरीकों और ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं के साथ जनरेश जेड और महिलाओं के नेतृत्व में डिजिटल खरीदारी पारंपरिक के मुकाबले अधिक तेजी से बढ़ रही है।" भारत में इंफोटेनमेंट, रियल-टाइम पार्किंग असिस्टेंट और एंटी-थेफ्ट जैसे फीचर्स की मांग मजबूत है। वहीं, रिमोट कंट्रोल जैसी वैश्विक रूप से लोकप्रिय कनेक्टेड सुविधाओं की मांग अपेक्षाकृत कम है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि पहली बार कार खरीदने वाले चार में से एक व्यक्ति पुरानी कारों पर विचार कर रहा है, जो उपभोक्ता के सेंटीमेंट में बदलाव का संकेत है।