भारतीय उपभोक्ता पर्यावरण बचाने से ज्यादा पैसे को देते हैं प्राथमिकता, जाने बातें

पर्यावरण को लेकर जागरुकता बढ़ रही और कंपनियां भी अब कई उत्पादों को पर्यारण हितैषी यानी ईको फ्रेंडली बताकर बेच रही हैं। इसके बावजूद भारतीय उपभोक्ता कीमत को लेकर ज्यादा सजग हैं और वह पर्यावरण बचाने से ज्यादा पैसे को प्राथमिकता देते हैं।

Update: 2021-08-27 05:46 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पर्यावरण को लेकर जागरुकता बढ़ रही और कंपनियां भी अब कई उत्पादों को पर्यारण हितैषी यानी ईको फ्रेंडली बताकर बेच रही हैं। इसके बावजूद भारतीय उपभोक्ता कीमत को लेकर ज्यादा सजग हैं और वह पर्यावरण बचाने से ज्यादा पैसे को प्राथमिकता देते हैं। एनालिटिक्स और ब्रांड कंसल्टिंग फर्म कांतार द्वारा किए गए सर्वे से यह जानकारी मिली है। इस सर्वे में भारत समेत नौ देशों के उपभोक्ताओं की राय ली गई है। सर्वे के मुताबिक 65 फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि वह रिसाइकल होने वाले उत्पादों को भी कचरे में फेंक दिया करते हैं।

सबसे बड़ा रुपैय्या
सर्वे में यह बात सामने आई है कि भारतीय उपभोक्ता कीमतों को लेकर बहुत सतर्क हैं। सर्वे में जिन तीन मानकों को आधार बनाया गया है, उनमें कीमत भी एक है। सर्वे के मुताबिक 84 फीसदी भारतीय उपभोक्ताओं का कहना है कि वह खरीदारी करते समय कीमत को शीर्ष प्राथमिकता देते हैं और पर्यावरण उनकी प्राथमिकता सूची में बहुत नीचे है। यानी इसका मतलब है कि ईको फ्रैंडली उत्पाद की कीमत अधिक है तो उपभोक्ता उसे नहीं खरीदेंगे। हालांकि, सर्वे में उपभोक्ताओं ने यह भी कहा है कि पर्यावरण को लेकर सजग हो रहे हैं।
इन मानकों पर परखा गया
सर्वे में कीमत, सुविधा और आराम के मानकों पर उपभोक्तोंओं से राय ली गई है। सर्वे में 76 फीसदी उपभोक्ताओं ने कहा कि खरीदारी करते समय उन्हें ईको फ्रैंडली उत्पादों को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं होती है और आरामदायक स्थिति में खरीदारी की वजह से वह ऐसे उत्पादों को तरजीह नहीं देते हैं। वहीं 72 फीसदी ने कहा कि रोजाना की व्यस्त दिनचर्या की वजह से ईको फ्रैंडली उत्पादों की पड़ताल करना उन्हें सुविधाजनक नहीं लगता है। इस सर्वे में कुल 10 हजार लोगों को शामिल किया गया।


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