इन 4 योग में मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा, जानें पूजा विधि और महत्व
आषाढ़ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन चारों वेदों का ज्ञान देने वाले महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था।
आषाढ़ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 13 जुलाई को मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार इसी दिन चारों वेदों का ज्ञान देने वाले महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। इसी वजह से इसे वेदव्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। शिवपुराण के अनुसार, वेद व्यास जी भगवान विष्णु के अंशावतार माने जाते हैं। ऐसे में पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि महर्षि वेद व्यास ने ही पहली बार मानव जाति को चारों वेदों का ज्ञान दिया था। इसलिए उन्हें सृष्टि के पहले गुरु का दर्जा प्राप्त है। यही वजह है कि प्रत्येक वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को आषाढ़ पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा और गुरु पूर्णिमा के तौर पर बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के मनाया जाता है। आइए जानते हैं गुरु पूर्णिमा की तिथि और पूजा विधि के बारे में।
इन 4 योग में मनाई जाएगी गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा तिथि
गुरू पूर्णिमा तिथि: 13 जुलाई, बुधवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 जुलाई, प्रात: 04: 02 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 जुलाई, रात्रि 12: 05 मिनट पर
गुरु पूर्णिमा पर बन रहे हैं चार योग
गुरु पूर्णिमा पर बन रहे हैं चार योग
हिन्दी पंचांग के अनुसार मुताबिक गुरु पूर्णिमा के दिन मंगल, बुध, गुरु और शनि शुभ स्थिति में विराजमान हैं। इस शुभ स्थिति के कारण गुरु पूर्णिमा पर रुचक, भद्र, हंस और शश नामक 4 राजयोग का निर्माण हो रहा है। साथ ही बुधादित्य योग भी बन रहा है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा का महत्व
मान्यताओं के अनुसार इसी दिन चारों वेदों का ज्ञान देने वाले महर्षि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था। इसी वजह से इसे वेदव्यास पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इनकी जंयती के दिन गुरुओं का पूजन किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि जिस तरह व्यक्ति इच्छा प्राप्ति के लिए ईश्वर की भक्ति करता है। ठीक उसी तरह व्यक्ति को जीवन में सफल होने के लिए गुरु की सेवा और भक्ति करनी चाहिए।
गुरु पूर्णिमा का महत्व
गुरु पूर्णिमा पूजा विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें उसके बाद सूर्य को अर्घ्य दें।
सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ॐ सूर्याय नमः मंत्र का जाप करें।
फिर सूर्य के सामने नतमस्तक होकर अपने गुरु का ध्यान करें।
इस खास दिन भगवान विष्णु जी को जरूर पूजें।
विष्णु जी के अच्युत अनंत गोविंद नाम का 108 बार जाप करें।
आटे की पंजीरी बनाकर इसका भोग लगाएं।
संभव हो तो लक्ष्मी-नारायण मंदिर में गोल नारियल अर्पित करें। ऐसा करने से बिगड़े काम बन जाते हैं।
कुमकुम घोल से मुख्य द्वार और घर के मंदिर के बाएं और दायें तरफ स्वास्तिक बनाएं।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करना न भूलें।
इस दिन पीले अनाज, पीली मिठाई और पीले वस्त्र जरूरत मंदो को दान करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।
इसके बाद अपने गुरु या इष्ट देव का विधिवत पूजन करें और उनके चरण स्पर्श करें।
गुरु पूर्णिमा पर जरूर करें ये कार्
व्यास जी के शिष्यों ने अपनी बुद्धि बल के अनुसार उन वेदों को अनेक शाखाओं और उप-शाखाओं में बांट दिया। महर्षि व्यास ने महाभारत की रचना भी की थी। वे हमारे आदि-गुरु माने जाते हैं।
इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु परिवार में जो भी बड़ा है अर्थात माता-पिता, दादा, दादी उनको भी गुरू मानकर सम्मान, पूजन करना चाहिए।
गुरु की कृपा से ही विद्यार्थी को विद्या आती है। उसके हृदय का अज्ञान व अन्धकार दूर होता है।
गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है। संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है।
गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है।
इस दिन गुरुजनों की यथा संभव सेवा करने का बहुत महत्व है। इसलिए इस पर्व को श्रद्धापूर्वक जरूर मनाना चाहिए।