नई दिल्ली (आईएएनएस)| बैंक ऑफ बड़ौदा की अर्थशास्त्र ज्ञाता जाह्न्वी प्रभाकर के एक शोध नोट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बार फिर से आर्थिक मंदी की ओर जा रही है। एक और बैंकिंग संकट के कारण अमेरिका में आर्थिक मंदी की आशंका फिर से उभर आई है। अमेरिकी अधिकारी पहले से ही फस्र्ट रिपब्लिक बैंक को संभावित एफडीआईसी रिसीवरशिप प्रदान करने की बातचीत कर रहे हैं। नोट में कहा गया है कि अभी फेड के लिए बहुत कुछ दांव पर है। उच्च मुद्रास्फीति, उच्च मजदूरी वृद्धि, क्रेडिट संकट और वैश्विक विकास में अनिश्चितता को देखते हुए फेड को अगली दर पर विचार करना है।
रुपया ने एशिया की दूसरी मुद्राओं की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन किया है और अगले पखवाड़े में डॉलर के मुकाबले 81.5-82.25 की सीमा में कारोबार करने की उम्मीद है। बाजार अब अगले हफ्ते फेड और ईसीबी के रेट फैसले का इंतजार करेंगे।
अमेरिका में ऋण सीमा गतिरोध के साथ-साथ पिछले दो महीनों में दूसरी बार उभर रहे बैंकिंग संकट की नई चिंताओं के बीच वैश्विक बाजार एक बार फिर सतर्क हो गए हैं।
इसके अलावा, यूएस जीडीपी, पीसीई, बेरोजगारी दावों और रोजगार लागत सूचकांक सहित अन्य प्रमुख डेटा रिलीज से फेड के दर वृद्धि को मजबूत करने की उम्मीद है क्योंकि मुद्रास्फीति का दबाव बहुत अधिक बना हुआ है। नोट में कहा गया है कि इसके साथ, संघीय निधि दर 5 प्रतिशत-5.25 प्रतिशत की सीमा में होगी, जिससे क्रेडिट संकट बना रहेगा।
अनिश्चितता और अमेरिका से कमजोर आर्थिक आंकड़ों के बीच कच्चे तेल की कीमतों में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट आई है जो दिखाता है कि मांग गिरी है।