चिंता का विषय: डॉक्टरों को फ्री में गिफ्ट देना अपराध, जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा?

दवा कंपनियों (Pharma companies) द्वारा दवाओं की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को फ्री में गिफ्ट देना कानूनी तौर पर पूर्ण रूप से अपराध है.

Update: 2022-02-23 11:44 GMT

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने कहा कि दवा कंपनियों (Pharma companies) द्वारा दवाओं की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए डॉक्टरों को फ्री में गिफ्ट देना कानूनी तौर पर पूर्ण रूप से अपराध है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को डॉक्टरों को प्रोत्साहन देने के नाम पर आयकर अधिनियम के तहत कटौती संबंधी कंपनी की याचिका खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने दवा कंपनियों (pharmaceutical companies) द्वारा डॉक्टरों को दिए जाने वाले मुफ्त उपहारों के एवज में उनके नुस्खे में हेरफेर को 'बड़े सार्वजनिक महत्व और चिंता का विषय' करार दिया.

दवा कंपनियों द्वारा उन्हें सोने के सिक्के, फ्रिज और एलसीडी टीवी जैसे उपहारों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं तक की पेशकश की जाती है. इसके अलावा छुट्टियों या मेडिकल कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए गिफ्ट के तौर पर इंटरनेशनल टूर तक शामिल हैं.
न्यायमूर्ति यू. यू. ललित (Justices Uday U Lalit) और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट (S Ravindra Bhat) की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ मेसर्स एपेक्स लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड की अपील खारिज कर दी. इतना ही नहीं इसने एक चतुराई से भरे कानूनी मामले का भी निपटारा किया, जहां डॉक्टरों को दिये गये उपहार के मद में कर में कटौती में छूट की मांग की गयी थी.
कंपनी ने दलील दी थी कि यद्यपि चिकित्साकर्मियों को इस तरह के उपहार स्वीकार करना कानून के दायरे में प्रतिबंधित है, लेकिन इसे किसी भी कानून के तहत अपराध नहीं ठहराया गया है, इसलिए कंपनियां इन उपहारों पर खर्च की गई रकम के मद में कर लाभ हासिल करने की हकदार हैं.
पीठ की ओर से न्यायमूर्ति भट द्वारा लिखित फैसलों में संबंधित कानून एवं नियमों की व्याख्या की गयी है. न्यायालय ने कहा कि दवा कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को उपहार देना कानून के दायरे में प्रतिबंधित है और ऐसी स्थिति में आयकर अधिनियम की धारा 37(एक) के तहत कर लाभ नहीं लिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने से यह पूरी तरह से सार्वजनिक नीति को प्रभावित करेगा.
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