खाद का संकट, किसानों ने खोली सरकारी दावों की पोल, डीएपी-यूरिया के लिए मारामारी

Update: 2022-07-11 14:26 GMT
मध्य प्रदेश में रबी सीजन की तरह ही खरीफ में भी खाद की किल्लत (Fertilizer Crisis) शुरू हो गई है. कई जगहों पर किसानों को एक बोरी यूरिया और डीएपी के लिए किसानों को संघर्ष करना पड़ रहा है. ताजा मामला डिंडोरी जिले का है. यहां हालात ये हैं कि टोकन के जरिए खाद बांटनी पड़ रही है. किसानों को कंट्रोल करने के लिए पुलिस बुलानी पड़ी. पहले टोकन लीजिए फिर खाद लेने के लिए लाइन में लगिए. केंद्र सरकार ने दावा किया था कि खरीफ सीजन के लिए पर्याप्त खाद का इंतजाम है. किसानों को कोई दिक्कत नहीं होगी. लेकिन मध्य प्रदेश में खाद के लिए किसानों के संघर्ष ने इस दावे की पोल खोलकर रख दी है. सहकारी समितियों पर पर्याप्त खाद नहीं है इसलिए किसानों को जरूरत की पूरी खाद नहीं मिल पा रही है. खाद की कमी से जिले में खरीफ की फसल (Kharif Crops) प्रभावित हो सकती है.
डिंडोरी जिला मुख्यालय के खाद गोदाम में सोमवार की सुबह से ही किसानों की भीड़ लग गई थी. मंडला बस स्टैंड स्थित खाद गोदाम में पहुंचे किसानों ने बताया कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं उपलब्ध करवाई जा रही है. जिसकी वजह से खेती प्रभावित हो रही है. खाद गोदाम के बाहर हजारों किसानों की भीड़ के चलते टोकन बांटना पड़ा. समय पर खाद और बीज उपलब्ध न होने के कारण किसानों (Farmers) को खेती में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. खाद गोदाम पहुंचे किसानों ने व्यवस्थित ढंग से खाद उपलब्ध कराए जाने की मांग की है ताकि खरीफ की बुराई प्रभावित न हो.
नहीं मिल रही जरूरत की पूरी खाद

बताया गया है कि आसपास की सहकारी समितियों पर खाद की कमी है. इसलिए किसानों को बार-बार इसके लिए चक्कर लगाना पड़ रहा है. ज्यादातर किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. किसानों का कहना है कि उन्हें अगर 10 बोरी की जरूरत है तो 8 बोरी ही खाद दी जा रही है. ऐसे में काम कैसे चलेगा. उन्होंने प्रशासन से सहकारी समितियों पर पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध कराने की मांग की है. सरकार दावा कर रही है थी कि इस बार रबी सीजन जैसी खाद की दिक्कत नहीं होने दी जाएगी. लेकिन हालात वैसे ही बन रहे हैं. सवाल ये है कि क्या खाद की कालाबाजारी शुरू हो गई है?
आखिर कब खत्म होगी समस्या?
किसानों का कहना है कि धान की बुआई के समय डीएपी तथा यूरिया (DAP-Urea) की किल्लत उठानी पड़ रही है. जबकि इन दोनों खादों की सख्त जरूरत होती है. इसके बिना फसल उत्पादन कैसे होगा. धान में रोपाई के वक्त ही खाद डाली जाती है. लेकिन जब किसानों को मिलेगी ही नहीं तो फिर वे बिना खाद के ही रोपाई करेंगे. दूसरा क्या चारा है. खाद की किल्लत शुरू हो चुकी है लेकिन राज्य सरकार का अब तक इस तरफ ध्यान नहीं गया है. किसानों का कहना है कि हर साल वो खेती के सीजन में खाद की किल्लत से परेशान होते हैं. जिससे खेती का समय चूक जाता है और फसल को पकने में लंबा समय लगने लगता है.
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