100 रुपए प्रति लीटर मे किसानों ने बेचा दूध, खाप पंचायत का है आदेश तो मानना जरूरी

एक तरफ जहां किसान कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बार्डर पर आंदोलन पर बैठे हुए हैं तो दूसरी तरफ हरियाणा की खाप पंचायत ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी कर आम आदमी की चिंता को बढ़ा दिया है

Update: 2021-03-01 13:11 GMT

एक तरफ जहां किसान कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बार्डर पर आंदोलन पर बैठे हुए हैं तो दूसरी तरफ हरियाणा की खाप पंचायत ने एक अजीबोगरीब फरमान जारी कर आम आदमी की चिंता को बढ़ा दिया है. दरअसल किसान आंदोलन को लगातार समर्थन दे रही हरियाणा की खाप पंचायतों ने अब एक अजीबोगरीब फरमान सुनाते हुए जिंद और हिसार के किसानों से कहा है कि वो अपने पशुओं का दूध सरकारी और सहकारी समितियों को 100 रुपए प्रति लीटर की दर से कम में ना बेंचे. वहीं अब इस अपील का मिलाजुला असर दिखने भी लगा है.

हालांकि खाप पंचायत में ये फैसला लिया गया है कि अगर कोई ग्राहक सीधे किसानों से दूध खरीदता है तो उसे पहले के रेट पर ही दूध बेचा जाएगा, लेकिन डेयरी के लिए रेट 100 रुपए प्रति लीटर ही रहेगा. किसानों का कहना है कि वो अपना दूध घर पर रखकर नुकसान झेलने को तैयार हैं, लेकिन खाप पंचायत का आदेश है तो मानेंगे जरूर.
फैसला खाप का है तो मानना ही पड़ेगा
वहीं पास ही के गांव की रहने वाली महिला किसान सुमित्रा को खाप पंचायत के फैसले की जानकारी नहीं है. महिला किसान का कहना है कि वो हर महीने 5 से 7 हजार रुपए दूध बेचकर कमा लेती हैं. दूध बेचना आमदनी का हिस्सा है, नुकसान तो होगा लेकिन फैसला खाप का है तो मानना ही पड़ेगा. ज्यादातर किसानों का दावा है कि उन्होंने स्थानीय लोगों को तो दूध की सप्लाई की, लेकिन सहकारी समितियों को दूध नहीं बेचा. बचे हुए दूध का या तो अपने ही घरों में इस्तेमाल किया गया या फिर गांवों से दूध को टैंकर में भरकर इलाकों में चल रहे किसान आंदोलन और लंगरों में पहुंचाया गया
जिंद में वीटा का बड़ा दूध प्लांट है, जिसमें जिंद, हिसार समेत क‌ई जिलों से गांवों की दुग्ध समितियों का जरिए दूध आता है. वीटा के जिंद प्लांट में प्रक्योरमेंट मैनेजर के रूप में काम करने वाले प्रमोद का दावा है कि खाप पंचायत के इस फैसले से उनके प्लांट की दूध सप्लाई पर फिलहाल कोई फर्क नहीं पड़ा है. प्लांट में रोजाना तकरीबन 1 लाख 70 लीटर दूध आता है, जो उसी हिसाब से आ रहा है. हालांकि खाप के फैसले का सटीक असर कितना पड़ेगा ये आने वाले दिनों में ही पता चलेगा, लेकिन अगर दूध की थोड़ी बहुत कमी रहती भी है तो उसे पाउडर से पूरा किया जा सकता है.
खाप और किसान नेताओं का कहना है कि ये फैसला बढ़ती महंगाई और पेट्रोल डीजल के दामों को देखते हुए लिया गया है. दुग्ध उत्पादन में किसान की लागत मिल रही कीमत से कहीं ज्यादा आती है. फिलहाल 1 से लेकर 5 मार्च तक ट्रायल कर असर को देखा जा रहा है, उसके आधार पर ही आगे का फैसला लिया जाएगा.
खाप के दूध की कीमत डबल करने के पीछे तर्क दिया गया है कि दूध की आधार कीमत 35.50 रुपए, हरे चारे पर खर्च 20.35 रुपए, तुड़ी का खर्च 14.15 रुपए, गोबर खर्च 9 रुपए, लेबर चार्ज 15.15 रुपए और किसान का मुनाफा 5.85 रुपए को जोड़कर एमआरपी तय की गई है. जिंद की खाप ने जहां 5 मार्च तक के लिए किसानों के दूध सहकारी समितियों को ना देने या फिर 100 रुपए प्रति लीटर देने के लिए कहा तो वहीं हिसार की सतरोल खाप ने पेट्रोल और डीजल के महंगे रहने तक दूध के दाम ज्यादा रखने की घोषणा की है.
हिसार के 40 से ज्यादा गांवों पर सतरोल खाप का असर है, ऐसे में गांव के किसानों ने खाप का हुकुम मानना भी शुरू कर दिया है. हालांकि इसका मिलाजुला ही असर देखने को मिला. किसानों का मानना है कि दूध की सप्लाई रोकने से उनको कोई नुकसान नहीं होगा,जो दूध वो इन डेयरी को बेचते थे उसी दूध का अब घी बनाकर बेचेंगे. खापों की इस कवायद से हरियाणा और आसपास के राज्यों की दूध की सप्लाई पर कितना असर पड़ेगा इसका आंकलन करने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना होगा, क्योंकि अभी सिर्फ दो जिलों की खाप पंचायत ने ही इसे लागू किया है और उसका भी मिलाजुला असर देखने को मिल रहा है.


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