50 फीसदी तक बढ़ा लौह अयस्क पर निर्यात शुल्क, कच्चे माल पर आयात शुल्क घटा, आज से लागू होंगी नई दरें

भारतीय उद्योग और आम जनता के लिए शनिवार का दिन काफी शुभ साबित हुआ। केंद्र सरकार ने कई अहम फैसले लिए।

Update: 2022-05-22 01:12 GMT
Export duty on iron ore increased by 50 percent, import duty on raw materials reduced, new rates will be applicable from today

फाइल फोटो 

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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय उद्योग और आम जनता के लिए शनिवार का दिन काफी शुभ साबित हुआ। केंद्र सरकार ने कई अहम फैसले लिए। इनमें पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की गई। फिर रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी देने का एलान हुआ। साथ ही छोटे उद्योगों को राहत देते हुए सरकार ने प्लास्टिक और स्टील के कच्चे माल पर सीमा शुल्क कम करने का फैसला लिया। वहीं लौह अयस्क के निर्यात पर शुल्क 50 प्रतिशत तक बढ़ाने का एलान किया। ये बदलाव रविवार से प्रभावी होंगे।

केंद्र सरकार ने इस्पात उद्योग (स्टील इंडस्ट्री) द्वारा उपयोग किए जाने वाले कोकिंग कोल (धातुशोधन कोयला) और फेरोनिकल सहित कुछ कच्चे माल के आयात पर सीमा शुल्क माफ करने का एलान किया। यह एक ऐसा कदम है जिससे घरेलू उद्योग की लागत कम होगी और कीमतें घटेंगी।
आज से प्रभावी होंगे नए बदलाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि हम स्टील के कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क को घटा रहे हैं लेकिन, कुछ स्टील प्रोडक्ट्स पर निर्यात शुल्क लगाया जाएगा। जारी अधिसूचना के अनुसार, घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के लिए लौह अयस्क के निर्यात पर शुल्क 50 प्रतिशत तक और कुछ इस्पात घटकों को 15 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है। शुल्क में बदलाव रविवार से प्रभावी होगा।
उन्होंने कहा, "हम लोहे और स्टील के लिए कच्चे माल और बिचौलियों पर उनकी कीमतें कम करने के लिए सीमा शुल्क को कम कर रहे हैं। स्टील के कुछ कच्चे माल पर आयात शुल्क कम किया जाएगा। कुछ इस्पात उत्पादों पर निर्यात शुल्क लगाया जाएगा।" केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने प्लास्टिक उत्पादों के लिए कच्चे माल और घटकों पर सीमा शुल्क कम करने का फैसला किया है।
फेरोनिकल, कोकिंग कोल, पीसीआई कोयले पर आयात शुल्क 2.5 प्रतिशत तक घटा दिया गया है, जबकि कोक और सेमी-कोक पर शुल्क पांच प्रतिशत से घटाकर 'शून्य' कर दिया गया है। लौह अयस्क और सांद्रित लौह के निर्यात पर शुल्क 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि लौह छर्रों (आयरन पेलेट्स) पर 45 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि लौह और इस्पात के लिए कच्चे माल और इसके घटकों में सीमा शुल्क में बदलाव से "उनकी कीमतें कम होंगी"। इसके अलावा, घरेलू विनिर्माण की लागत को कम करने के लिए प्लास्टिक उद्योग में उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल के आयात पर भी शुल्क कम किया गया है।
जहां नाप्था (नाफ्था एक ज्वलनशील तरल हाइड्रोकार्बन मिश्रण है) पर आयात शुल्क 2.5 फीसदी से घटाकर एक फीसदी कर दिया गया है, वहीं प्रोपलीन ऑक्साइड पर शुल्क पांच फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है। विनाइल क्लोराइड (पीवीसी) के पॉलिमर पर आयात शुल्क वर्तमान में 10 प्रतिशत से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
प्लास्टिक पर भी सीमा शुल्क में कटौती
प्लास्टिक पर सीमा शुल्क में कटौती की घोषणा करते हुए सीतारमण ने कहा कि कच्चे माल और उसके बिचौलियों पर लेवी में कटौती की जा रही है। इस मामले में भारत की आयात निर्भरता अधिक है। उन्होंने ट्वीट किया "इससे अंतिम उत्पादों की लागत में कमी आएगी।"
एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के सीनियर पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि इन उत्पादों पर आयात शुल्क में भारी कमी से उच्च मुद्रास्फीति को रोकने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि "बढ़ते कर्ज और उच्च मुद्रास्फीति के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं बीमार हैं। उच्च मुद्रास्फीति के कारण कमजोर विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को बचाने के लिए भारत सरकार ने पेट्रोल, डीजल, कोयला, लोहा, इस्पात और प्लास्टिक की उच्च कीमतों से राहत प्रदान करने के लिए ये उपाय किए हैं।"
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