सस्ते होने वाला है खाने का तेल, सरकार ने घटाया आयात शुल्क

खाद्य तेलों की लगातार तेज होती कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से सरकार द्वारा बीते सप्ताह आयात शुल्क कम करने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और सीपीओ सहित लगभग तेल- तिलहन के भाव गिरावट के रुख के साथ बंद हुए।

Update: 2021-10-18 03:55 GMT

फाइल फोटो 

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क। खाद्य तेलों की लगातार तेज होती कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से सरकार द्वारा बीते सप्ताह आयात शुल्क कम करने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और सीपीओ सहित लगभग तेल- तिलहन के भाव गिरावट के रुख के साथ बंद हुए।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने दो अलग-अलग अधिसूचनाओं में कहा कि 14 अक्तूबर से प्रभावी आयात शुल्क और उपकर में कटौती 31 मार्च, 2022 तक लागू रहेगी। कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर कृषि अवसंरचना विकास उपकर (एआईडीसी) भी कम किया गया है।
कच्चे पाम तेल पर अब 7.5 प्रतिशत का कृषि अवसंरचना विकास उपकर लगेगा, जबकि कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल के लिए यह दर पांच प्रतिशत होगी। पहले उपकर 20 प्रतिशत था, जबकि मूल सीमा शुल्क 2.5 प्रतिशत था। इस कटौती के बाद कच्चे पाम तेल पर प्रभावी सीमा शुल्क 8.25 प्रतिशत का होगा। कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर प्रभावी सीमा शुल्क क्रमशः 5.5- 5.5 प्रतिशत होगा।
पहले इन तीन कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क दर 24.75 प्रतिशत थी। सूत्रों ने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद देश में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव अपने पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में नरम पड़े हैं।


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