कमाई काफी ज्यादा होगी इस औषधीय पौधे की खेती मे, जानें नीयम
पारंपरिक फसलों की खेती के अलावा किसानों के पास औषधीय पौधों की खेती करने का भी एक अच्छा विकल्प है
पारंपरिक फसलों की खेती के अलावा किसानों के पास औषधीय पौधों की खेती करने का भी एक अच्छा विकल्प है. कोरोना महामारी के दौर में प्राकृतिक और औषधीय गुणों से भरपूर खाद्य पदार्थों का उपयोग तेजी से बढ़ा है. मांग में बढ़ोतरी का यह भी एक कारण है. वहीं कुछ ऐसे औषधीय पौधे हैं, जिनका इस्तेमाल कई सौ वर्षों से किया जा रहा है. इसकी खेती कर किसान अब मोटी कमाई कर रहे हैं. लागत कम होने के चलते मुनाफा तीन से चार गुना तक हो रहा है.
औषधीय पौधा अकरकरा आज किसानों के लिए कमाई का एक मजबूत जरिया बन गया है. अंग्रेजी में इसे पैलिटरी रूट कहते हैं. वहीं भारत में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है. संस्कृत में इसे आकारकरभ, उर्दू में अकरकरहा, कन्नड में अक्कलकरी, गुजराती में अकोरकरो और तमिल में अक्किराकरम कहते हैं. इसके अलावा भी स्थानीय स्तर पर इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
औषधीय गुणों से भरपूर होने के कारण इसका कई रोगों की दवाई बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. 400 वर्षों से इसका उपयोग होता रहा है. डीडी किसान की रिपोर्ट के मुताबिक, नपुसंकता के इलाज से लेकर प्रजनन क्षमता बढ़ाने तक के लिए इसका उपयोग किया जाता है. दंतमंजन बनाने, किसी प्रकार का दर्द और थकान समेत तमाम अन्य कामों में इस्तेमाल किया जाता है.
किस तरह की मिट्टी में कर सकते हैं अकरकरा की खेती?
अकरकरा की खेती 6-8 महीने में होती है. भारत में इसकी खेती मध्य भारत के राज्यों में होती है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्य शामिल हैं. अकरकरा के पौधों पर तेज गर्मी या अधिक सर्दी का प्रभाव देखने को नहीं मिलता. इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान सामान्य ही होना चाहिए. अगर आप इसकी खेती करना चाहते हैं तो आप अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊं भूमि का चयन कर सकते हैं. जल भराव और भारी मिट्टी वाले खेतों में इसकी खेती नहीं की जा सकती है. अपने देश में रबी फसल के साथ इसकी खेती होती है. अकरकरा की फसल के लिए धूप की आवश्यकता होती है. इसी कारण इसकी खेती छाव में नहीं होती. इसकी खेती के लिए मिट्टी भुरभुरी और नरम होनी चाहिए, क्योंकि यह एक कंदवर्गीय फसल है. यानी आलू-मूली की तरह यह जमीन के नीचे होती है.
अच्छी पैदावार के लिए निराई है जरूरी
अकरकरा के लिए खेत बनाने से पहले अच्छे से जुताई कराकर खेत को कुछ दिन के लिए छोड़ दिया जाता है. खेत में जैविक खाद डालकर अच्छे से मिला देते हैं. आप इसे बीज और पौधे दोनों रूपों में उगा सकते हैं. इसकी पौध भी नर्सरी में तैयार की जाती है. अकरकरा की खेती कम लागत और कम मेहनत में अधिक लाभ देने वाली मानी जाती है. बीज के रूप में इसकी खेती करने के लिए लगभग प्रति एकड़ 3 किलो और पौध के रूप में इसकी खेती के लिए 2 किलो बीज काफी होता है. अकरकरा की बुआई पौध या बीज के रूप में अक्टूबर-नवंबर माह तक कर देनी चाहिए. अकरकरा के पौधे को खेत में लगाने के बाद तुरंत सिंचाई की जाती है. हालांकि ज्यादा सिंचाई नहीं करनी पड़ती. अकरकरा की फसल को भी अन्य फसलों की तरह उर्वरक की जरूरत होती है. अच्छी पैदावार और पौधों की बढ़वार के लिए निराई बहुत जरूरी है.
एक एकड़ की खेती में 40 हजार से कम है लागत
रोपाई या बुआई के 5-6 महीने बाद अकरकरा के पौधे खुदाई के लिए तैयार हो जाते हैं. पौधे तैयार होने के बाद सूखने लगते हैं, तभी किसान इसकी खुदाई शुरू करते हैं. ये एक प्रकार से संदेश होता है कि फसल तैयार हो गई है. खुदाई के बाद अकरकरा के पौधे को जड़ से अलग कर दिया जाता है. इसे छायादार स्थान पर तीन-चार दिन तक सूखाया जाता है. सूखने के बाद इसे आप बाजार में बेच सकते हैं. प्रति एकड़ फसल से एक बार में डेढ़ से दो क्विंटल तक बीज और 8 से 10 क्विंटल तक जड़ें प्राप्त होती हैं. फिलहाल इसकी कीमत 300 से 400 रुपए प्रति किलो है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आप इसकी खेती से कितनी कमाई कर सकते हैं. लागत की बात करें तो एक एकड़ में अकरकरा की खेती करने में 40 हजार रुपए से कम ही खर्च आता है.