चैत्र नवरात्रि में इस दिन करें कन्या पूजन, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि काफी खास मानी जाती हैं। क्योंकि इन दिनों में कन्या पूजन के साथ हवन करने का विधान है।

Update: 2022-04-08 03:34 GMT

चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इसके साथ ही अष्टमी और नवमी तिथि काफी खास मानी जाती हैं। क्योंकि इन दिनों में कन्या पूजन के साथ हवन करने का विधान है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही मां दुर्गा जल्द प्रसन्न होती है। जानिए कन्या पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजन विधि के बारे में।

कन्या पूजन 2022 दिनांक और समय

नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन आप किसी भी दिन कर सकते हैं लेकिन अष्टमी और नवमी के दिन पूजन करना ज्यादा शुभ माना जाता है। इसलिए कन्या पूजन 9 और 10 अप्रैल को करना शुभ होगा।

कन्या पूजन शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि- 8 अप्रैल रात 11 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 9 अप्रैल को देर रात 1 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।

नवमी तिथि- 10 अप्रैल को तड़के 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर 11 अप्रैल को सुबह 03 बजकर 15 मिनट तक।

सुकर्मा योग- 9 अप्रैल सुबह 11 बजकर 25 मिनट से 10 अप्रैल दोपहर 12 बजकर 04 मिनट तक।

सर्वार्थ सिद्धि योग- 9 अप्रैल सुबह 6 बजकर 02 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त – 9 अप्रैल सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक।

कन्या पूजन विधि

कंजक खिलाने वाले दिन से ठीक एक दिन पहले 2 से 10 साल तक की कन्याओं को आमंत्रण दे दें। आप 1 से लेकर 11 कन्याओं के बीच की संख्या में बुला सकते हैं। इसके साथ ही एक बालक को भी आमंत्रित कर दें। अष्टमी या नवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद कन्याओं के लिए भोजन तैयार कर लें। फिर कन्याओं को बुला लें। कन्याओं के आने पर एक बड़ी थाली में पानी और थोड़ा सा दूध मिला लें और इससे कन्याओं और बालक के पैर धो दें और फिर साफ कपड़े से पोंछ दें। फिर उन्हें साफ जगह पर आसन बिछाकर बैठा दें।

कन्याओं को बैठाने के बाद उनके माथे में थोड़ा सा घी लगा दें। इसके बाद रोली, कुमकुम के साथ अक्षत लगा दें और हाथों में मौली बांध दें। इसके बाद उन्हें चुनरी भी डाल सकते हैं। फिर घी का दीपक जलाकर उनकी आरती उतार लें। इसके बाद उन्हें श्रद्धा के साथ देवी मां का ध्यान करते हुए भोजन कराएं। भोजन करना के बाद कंजकों को फल, अनाज के अलावा कोई अन्य भेंट के साथ दक्षिणा दें। इसके बाद उनके पैर छूकर आशीर्वाद दे लें और मां का जयकारे लगाते हुए भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद सत्कार के साथ उन्हें विदा करें।


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