बेकार पड़ी जमीन पर करिए बच की खेती, होगी लाखो की कमाई
आज के समय में किसानों के पास कृषि के क्षेत्र में तमाम विकल्प उपलब्ध हैं
आज के समय में किसानों के पास कृषि के क्षेत्र में तमाम विकल्प उपलब्ध हैं. वे पारंपरिक खेती तो करते ही हैं, साथ ही सरकार अब अलग-अलग फसलों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. सरकार की कोशिश है कि किसान पारंपरिक खेती के साथ ही नए प्रयोग करें, जिससे की उनकी आय में वृद्धि हो. अगर आप भी पारंपरिक खेती करते हैं और आपके पास ऐसी जमीन है, जिसको आप बेकार मानते हैं तो बच (वच) पौधा की खेती कर काफी मुनाफा कमा सकते हैं. बच की खेती में 40 हजार रुपए लगाने के बाद 2 लाख रुपए तक की कमाई होती है.
बच को अंग्रेजी में स्वीट फ्लैग कहा जाता है. यह एरेसी कुल का पौधा है. इसका वानस्पतिक नाम एकोरस कैलमस है. बच के तने को राइजोम कहते हैं. यह पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और बिहार में बहुतायत में पाया जाता है. सतपुड़ा और नर्मदा के किनारे वाले इलाके में भी यह होता है. बच का पौधा नदी किनारे दलदली भूमि में काफी होता है. बच के राइजोम का तेल स्वास रोग, बदहजमी, मूत्र रोग और दस्त रोग सहित कई बीमारियों में इस्तेमाल होता है.
बच की खेती के लिए बलुई दोमत मिट्टी उपयुक्त होती है. सिंचाई की व्यवस्था होने पर ही इसकी खेती करें. पर्याप्त सिंचाई की व्यवस्था बिना इसकी खेती मुश्किल है. जिन खेतों में पानी ठहरता है, वहां बच की खेती आसानी से हो सकती है. इसकी खेती के लिए तापमान 10 डिग्री से 38 डिग्री तक हो तो उत्तम है. अत्यधिक गर्मी में इसके पौधे बढ़ नहीं पाते.
बच की खेती के लिए होता है राइजोम का इस्तेमाल
बच की खेती के लिए खेत को पहले से तैयार करना जरूरी है. किसान खेत की दो से तीन बार जुताई करा सकते हैं. भूमि को थोड़ी दलदली बनाना जरूरी होता है. बच की खेती के लिए इसके राइजोम का इस्तेमाल किया जाता है. बच की बुवाई के लिए प्लाटिंग में इस्तेमाल होने वाला राइजोम पुरानी फसल से ही मिलता है. राइजोम को ऐसे जगह लगाया जाता है, जहां की जमीन में नमी हो. अंकुरण के बाद इसके छोटे-छोटे टूकड़े की रोपाई की जाती है.
राइजोम को 30 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपा जाता है. बच की खेती में पानी की जरूरत ज्यादा होती है. बरसात शुरू होते ही इसकी रोपाई कर देनी चाहिए. अच्छी फसल के लिए गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद डालना जरूरी है. बच की रोपाई के बाद जब फसल उगने लगती है तब सिंचाई की जरूरत होती है. जहां पर कोई अन्य फसल की खेती नहीं हो सकती है. वहां इसकी खेती लाभ दे सकती है. निराई करने से इसकी पैदावार अच्छी होती है.
एक एकड़ में 2 लाख रुपए तक की होती है कमाई
8-9 महीने बाद इसकी फसल तैयार होने लगती है. जब इसकी पत्तिया पीली पड़ने लगती हैं या सूखने लगती हैं तब पौधों को जड़ समेत जमीन से निकाल लिया जाता है. राइजोम को नुकसान न हो, इसका खास ध्यान रखा जाता है. मिट्टी से निकाले गए राइजोम को धोना नहीं होता है. इसे छायादार जगह पर सूखाया जाता है. एक एकड़ में एक लाख प्लांट लगते हैं. खर्च 40 हजार आता है और कमाई हर साल 2 लाख रुपए तक होती है. किसानों को काफी अच्छी कमाई हो सकती है. इसकी काफी मांग है. कुछ कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट पर भी बच की खेती कराती हैं. दिल्ली, बेंगलुरु, हरिद्वार, टनकपुर और नीमच सहित देश की अन्य मंडियों में बच की खरीद-बिक्री बड़े पैमाने पर होती है.