नई दिल्ली | भारत में सौर ऊर्जा तेजी से बढ़ रही है। बड़े पैमाने पर इसके लिए सोलर पैनल चीन से आयात होते थे, लेकिन एक ताजा रिपोर्ट में पता चला है कि देश में सौर पैनलों का निर्माण बढ़ने लगा है और चीन से आयात में गिरावट आनी शुरू हो गई है। ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर के नए विश्लेषण से पता चलता है कि भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहां चीन से सौर पैनल के आयात में बड़ी गिरावट देखी गई है। यह गिरावट इस साल की पहली छमाही में आई है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत की घरेलू सोलर मॉड्यूल निर्माण क्षमता में वृद्धि हुई है जिससे चीन से भारत को मॉड्यूल निर्यात में 76% (-7.5 गीगावॉट) की गिरावट आई है, जो 2022 की पहली छमाही में 9.8 गीगावॉट से घटकर इस वर्ष की पहली छमाही में 2.3 गीगावॉट रह गई। इसके बाद टैरिफ लगाया गया क्योंकि भारत आयात से हटकर घरेलू निर्माण क्षमता के विकास और उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
बढ़ रहा चीन का सौर पैनल का निर्यात
यह स्थिति तब है, जब चीन का सौर पैनल का निर्यात बढ़ रहा है। इस साल की पहली छमाही में इसमें 34 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। इस दौरान कुल 114 गीगावाट क्षमता के पैनल का निर्यात उसने किया जो पिछले साल इसी अवधि में 85 गीगाावाट था।
2022 के बाद से लगातार कम हो रही निर्भरता
एम्बर के भारत बिजली नीति विश्लेषक नेशविन रोड्रिग्स ने कहा कि सोलर मॉड्यूल आयात के लिए चीन पर भारत की निर्भरता 2022 के बाद से लगातार कम हो रही है और घरेलू विनिर्माण अब हाल के नीतिगत हस्तक्षेपों के परिणामस्वरूप तेजी से बढ़ने लगा है। जैसे-जैसे भारत आत्मनिर्भर होने के करीब पहुंच रहा है। सोलर निर्माण में पर्याप्तता, चीनी मॉड्यूल और कोशिकाओं पर अत्यधिक निर्भरता अब सीमित कारक नहीं है। अब एक प्रभावी नीतिगत वातावरण की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सौर स्थापनाएं भी राष्ट्रीय विद्युत योजना के लक्ष्यों से पीछे न रह जाएं।
सोलर का विकास चरम पर
एम्बर के डेटा प्रमुख सैम हॉकिन्स ने कहा कि सोलर का विकास चरम पर है। दुनिया भविष्य की अर्थव्यवस्था को शक्ति देने के लिए ऊर्जा के इस सस्ते, स्वच्छ और प्रचुर स्रोत का उपयोग करने के लिए दौड़ रही है। यह साफ है कि फिलहाल वैश्विक निर्माण क्षमता 2030 तक सोलर ऊर्जा में आवश्यक पांच गुना वृद्धि हासिल करने के लिए किसी तरह की बंदिश नहीं बन रही है।