दुनिया की टॉप 20 डिजिटल करंसी में क्रिप्टोकरंसी का दर्ज हुआ नाम
दुनिया के अलग-अलग देशों में बनी क्रिप्टोकरंसी की भरमार है
दुनिया के अलग-अलग देशों में बनी क्रिप्टोकरंसी (cryptocurrency) की भरमार है. लेकिन कुछ ही नाम ऐसे हैं जो जुबान पर चढ़े हैं. जैसे बिटकॉइन, इथीरियम, डोजकॉइन आदि आदि. इन नामों में आपने शायद ही किसी देसी cryptocurrency को देखा-सुना होगा. अगर नहीं सुना तो पोलीगॉन (polygon) के बारे में जान लीजिए. यह नाम भले ही अंग्रेजी है लेकिन है खांटी देसी.
plolygon को भारत के तीन लोगों ने बनाया है. यह क्रिप्टोकरंसी बनते ही पिछले हफ्ते इसने सारा रिकॉर्ड तोड़ दिया और इसकी पूंजी 10 अरब डॉलर में पहुंच गई. अभी इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन 13 अरब डॉलर है और इसी के साथ यह डिजिटल करंसी दुनिया की टॉप 20 क्रिप्टो में शामिल हो गई है. gadgetsnow.com ने इसकी जानकारी दी है.
फरवरी के बाद दाम में उछाल
पोलीगॉन को पहले मैट्रिक नेटवर्क के नाम से जाना जाता था. फरवरी के बाद से इसकी कीमतों में 10 गुना तक वृद्धि हुई है. इसकी कीमतें बढ़ने से ब्लॉकचेन में इसकी दखल बढ़ गई है. गेमिंग, नॉन फंजिबल टोकन (NFT) और डीफी (DeFi डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस) ने इसमें खऱीदारी शुरू कर दी है. मार्च में कॉइनबेस ने यूजर्स को पोलीगॉन.कॉम में ट्रेडिंग की इजाजत दे दी है. कॉइनबेस अमेरिकी शेयर मार्केट नैसडेक में सूचीबद्ध कंपनी है.
इथीरियम के साथ होता है धंधा
पोलीगॉन के को-फाउंडर संदीप नाइवाल बताते हैं, polygon में अच्छी ग्रोथ देखी जा रही है. जैसे अन्य क्रिप्टोकरंसी cryptocurrency की ट्रेडिंग को लेकर शक-संदेह जताए जाते हैं, वैसी कुछ बात पोलीगॉन को लेकर भी है, लेकिन मिला जुलाकर सब ठीक है. कंपनी ने अपने काम का विस्तार किया है और दायरा बढ़ाया है. पोलीगॉन के अन्य फाउंडर जयंती कनानी और अनुराग अर्जुन हैं. polygon की ब्लॉकचेन इथीरियम के साथ जुड़ी है. इस साल जनवरी से लेकर मई महीने तक पोलीगॉन के एप्लिकेशन में 400 गुना तक बढ़ोतरी हुई है.
दुनिया में तीसरा स्थान पाने की तैयारी
सोशल नेटवर्किंग साइट टि्वटर के सीईओ जैक डोरसे अभी हाल में NFT से जुड़े अपने ट्वीट में पोलीगॉन के एक एप्लिकेशन का इस्तेमाल किया था. पोलीगॉन के फाउंडर का कहना है कि भारत की इस करंसी को दुनिया में ब्लॉकचेन का पावरहाउस बनाना है. पोलीगॉन की तैयारी दुनिया में सभी digital currency को पछाड़ते हुए बिटकॉइन और इथीरियम से लोहा लेने की है. कंपनी का कहना है कि जल्द ही वह bitcoin और इथीरियम (etherium) के बाद तीससे स्थान पर होगी.
भारत क्रिप्टोकरंसी में क्यों पीछे
अप्रैल महीने में पोलीगॉन ने इंफोसिस लिमिटेड के साथ साझेदारी कर खुद को एनएफटी, डीफी और इंश्योरेंस के साथ जोड़ा है. अमेरिका, यूरोप और चीन में जिस तरह से क्रिप्टोकरंसी का विकास हुआ है, उस हिसाब से भारत अभी बहुत पीछे है, लेकिन काम तेजी से हो रहा है. पश्चिमी देशों का क्रिप्टोकरंसी के बाजार में बहुत बड़ा फैलाव है. भारत के उद्योगों ने काफी देर से इस क्षेत्र में काम शुरू किया है. दुनिया में अगर भारतीय क्रिप्टो को अपनी जगह बनाना है, इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.
2019 में शुरू हुई कंपनी
साल 2019 में पोलीगॉन के टोकन दुनिया में बिनेंस (इसी करंसी में खरीद-बिक्री होती है) के मार्फत बांटे गए या बेचे गए. तह यह कंपनी स्टार्टअप के तौर शुरू हुई थी. इस दौरान कंपनी ने 50 लाख डॉलर की पूंजी जुटाई थी. भारत में रेगुलेटरी नियमों को लेकर कई संदेह है जिसे देखते हुए ब्लॉकचेन इंडस्ट्री में जगह बनाने में दिक्कतें आईं. क्रिप्टोकरंसी पर अभी प्रतिबंध है जिसके चलते भारत में निवेशकों को खरीद-बिक्री को लेकर पूरा भरोसा नहीं पैदा हो सका है. दुनिया के जानकार भारत को क्रिप्टोकरंसी शुरू करने की सलाह दे रहे हैं, लेकिन यह कब तक होगा अभी कुछ नहीं कहा जा सकता.