कोरोना का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा बुरा असर, 10.5% ग्रोथ रेट रहने का अनुमान

कोरोना महामारी के चलते पिछले साल भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई थी

Update: 2021-05-27 16:05 GMT

कोरोना महामारी के चलते पिछले साल भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई थी. इसकी दूसरी लहर में स्थिति पहली जैसी खराब नहीं है, लेकिन अनिश्चितता बनी हुई है. यही वजह है कि इकोनॉमी में सुधार की संभावना अब इस बात पर निर्भर करती हैं कि भारत कितनी तेजी से कोविड -19 संक्रमण की दूसरी लहर की गिरफ्त से बाहर निकलता है. ये बात भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई की ओर से गुरुवार को जारी किए गए वार्षिक रिपोर्ट में कही गई है. इस दौरान वृद्धि दर के चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.

वार्षिक रिपोर्ट में आरबीआई ने महामारी के चलते महंगाई दर भी प्रभावित होने की बात कही. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के चलते बाजार में प्रतिस्पर्धा कम हुई है, मार्च 2021 से संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई है. इसका असर महंगाई दर पर पड़ सकता है. 2020-21 में इंफ्लेशन दर 2019-20 की तुलना में 140 बेसिस प्वाइंट्स (1.4 फीसदी) बढ़कर 6.2 फीसदी तक पहुंच गया था. इसकी गणना सालाना आधार पर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में बदलाव के तौर पर होती है. अप्रैल-जुलाई 2020 में WPI आधारित इंफ्लेशन शून्य के नीचे चला गया था और मई 2020 में 54 महीनों के निचले स्तर (-)3.4 पर पहुंच गया था.
रिजर्व बैंक ने रिपोर्ट में कहा, "कोविड -19 से अर्थव्यवस्था में रिकवरी निजी मांग के मजबूत पुनरुद्धार पर निर्भर करेगी. अगर वसूली को बनाए रखा जाए तो निवेश में तेजी लाने की आवश्यकता होगी." इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में सुधार उपायों से भारत की विकास क्षमता को बेहतर बनाया जा सकता है. कोरोना महामारी ने पिछले वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था को एक गहरा घाव दिया था. दूसरी लहर की शुरुआत में वैसे ही हालत बनते नजर आ रहे थे, हालांकि आशावाद रवैये की वजह से स्थिति पहले से बेहतर है. इस दौरान टीकाकरण अभियान की अहम भूमिका है.


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