Business: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) इंश्योरेंस के मामले में ही नहीं बल्कि लैंड बैंक के मामले में भी देश की दिग्गज कंपनी है. एलआईसी (LIC) का प्लान देश के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद premium commercial building और जमीन को बेचने का है. इंश्योरेंस कंपनी इस बिक्री से करीब 58000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है. मिंट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, LIC ने देशभर में अपनी प्रॉपर्टी बेचने की योजना बनाने के लिए एक टीम बनाई है. खबर में दावा किया गया है कि यह प्रक्रिया मुंबई से शुरू हो सकती है. एक बार फिर होगा बिल्डिंगों का वैल्यूएशन- LIC की कुछ अहम संपत्तियों में दिल्ली के कनॉट प्लेस में स्थित जीवन भारती बिल्डिंग, Kolkata के चित्तरंजन एवेन्यू की एलआईसी बिल्डिंग, मुंबई में Asiatic Society और अकबरली की इमारतें हैं. सूत्रों के अनुसार, पिछले वैल्यूएशन के समय एलआईसी की प्रॉपर्टी की कीमत 50,000-60,000 करोड़ रुपये के आसपास आंकी गई थी. एलआईसी की प्रॉपर्टी की बिक्री करने के लिए पूरे प्रोसेस को औपचारिक रूप देने के लिए एक बार फिर से बिल्डिंगों का वैल्यूएशन किये जाने की उम्मीद है.2.5-3 लाख करोड़ रुपये तक हो सकती है कीमत
एक सूत्र ने यह भी बताया कि एलआईसी की कई बिल्डिंग को पहले कभी बेचा नहीं गया. इसलिए उनकी असली कीमत के बारे में आइडिया नहीं है. असली कीमत मौजूदा अनुमान से 'कम से कम पांच गुना ज्यादा' हो सकती है, यह करीब ₹2.5-3 लाख करोड़ रुपये के करीब बैठती है. एलआईसी इन संपत्तियों की कीमत तय करने में आने वाली किसी भी परेशानी को देखते हुए एक अलग कंपनी बनाने का प्लान कर रही है, जो इन जमीनों और इमारतों को अपने नाम पर रखेगी और उनसे पैसा कमाने का तरीका ढूंढेगी.
नियमों में भी फेरबदल करने की जरूरत होगी- आपको यह भी बता दें एलआईसी के पास उत्तराखंड के मसूरी के माल रोड पर स्थित फेमस भारतीय स्टेट बैंक की बिल्डिंग और नई दिल्ली व लखनऊ में दो बड़े मीडिया घरानों के ऑफिस भी हैं. एलआईसी के पास ऐसी कई Priceless संपत्तियां हैं लेकिन उनकी सही कीमत का पता होना जरूरी है. इन संपत्तियों की असली कीमत का पता लगाने के लिए इन्हें एक-एक करके नीलामी में बेचना होगा. लेकिन इसके लिए एलआईसी के नियमों में कुछ बदलाव और दूसरे नियमों में भी फेरबदल करने की जरूरत होगी. एलआईसी की तरफ से इन प्रॉपर्टी को बेचने का प्लान पहले भी किया जा चुका है. लेकिन ये प्लानिंग किसी न किसी कारण से फाइनल नहीं हो सकी. इस बार, सरकार की तरफ से सरकारी कंपनियों की संपत्तियों को बेचकर पैसा कमाने के सरकार के जोर देने के कारण यह योजना तेजी से आगे बढ़ रही है.
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