आरबीआई के डिप्टी गवर्नर पद से रिटायर हुए बी पी कानूनगो
बी पी कानूनगो अब भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के पद से रिटायर हो चुके हैं. इसके पहले कयास लगाए जा रहे थे कि कानूनगो के कार्यकाल को दोबारा विस्तार दिया जा सकता है.
बी पी कानूनगो अब भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर के पद से रिटायर हो चुके हैं. इसके पहले कयास लगाए जा रहे थे कि कानूनगो के कार्यकाल को दोबारा विस्तार दिया जा सकता है. डिप्टी गवर्नर के तौर पर बी पी कानूनगो के पास करेंसी मैनजमेंट, पेमेंट एंड सेटलमेंट, फॉरने एक्सचेज जैसी जिम्मेदारियां थीं. उन्हें सबसे पहले 2017 में तीन साल के लिए डिप्टी गवर्नर नियुक्त किया गया था. 2020 में उनके कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया. पिछले महीने सरकार ने डिप्टी गवर्नर के नियुक्ति के लिए होने वाले इंटरव्यू को कैंसिल कर दिया था. इसके बाद कयास लगाए जा रहे थे कि कानूनगो का कार्यकाल एक बार फिर बढ़ाया जा सकता है.
बी पी कानूनगो एक ऐसे समय पर रिटायर हुए हैं, जब आरबीआई क्रिप्टोकरंसी लॉन्च करना चाहता है. इसी साल रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 को संसद में पेश किया जाना है. इसके अलावा आरबीआई कई अन्य तरह के पेमेंट व फिनटेक के लिए रेगुलेशन तैयार करने में जुटा हुआ है.
शक्तिकांत दास का कार्यकाल भी इसी साल खत्म होगा
कानुनगो को पहली बार सितंबर 1982 में आरबीआई पहली नौकरी मिली थी. उस दौरान वे केंद्रीय बैंक फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट, बैंकिंग एंड नॉन-बैंकिंग सुपरविज़न, करेंसी मैनेजमेंट, गवर्नमेंट एंड बैंक अकाउंट्स और पब्ल्कि डेब्ट को देखते थे. वर्तमान में राजेश्वर राव, एम के जैन और माइकल पात्रा आरबीआई डिप्टी गवर्नर हैं. इस साल आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास का भी कार्यकाल खत्म हो रहा है. दास को दिसंबर 2018 में आरबीआई गवर्नर नियुक्त किया गया था.
कैसे होती है आरबीआई डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति?
भारतीय रिज़र्व बैंक के मामलों को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स यानी सीडीबी द्वारा शासित किया जाता है. आरबीआई एक्ट के सेक्शन 8 के अनुसार बोर्ड के इन सदस्यों को केंद्र सरकार नियुक्त करती है. सीडीबी में दो तरह के निदेशक होते हैं. पहला आधिकारिक निदेशक और दूसरा गैर-आधिकारिक निदेशक होते हैं.
फाइनेंशियल सेक्टर रेगुलेटर अप्वाइंटमंट सर्च कमेटी ही सबसे पहले डिप्टी गवर्नर के चयन की प्रक्रिया शुरू करती है. FSRASC में कैबिनेट सचिव, आरबीआई गवर्नर, वित्त सेवा विभाग के सचिव उम्मीदवार का चयन करते हैं. प्रोसेस के तहत यह पैनल आवेदन मांगता है. FSRASC के पास अधिकार होता है कि वे किसी ऐसे व्यक्ति को भी इंटरव्यू के लिए बुला सकते हैं, जिन्होंने आवदेन नहीं किया है.
इच्छुक उम्मीदवारों की नियुक्ति के लिए FSRASC ही इनका इंटरव्यू करता है और वित्त मंत्रालय को तीन नामों की सिफारिश भेजता है. इसके बाद वित्त मंत्री की सलाह पर प्रधानमंत्री द्वारा आरबीआई के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर की नियुक्ति की जाती है.
डिप्टी गवर्नर को कितनी सैलरी मिलती है?
पैनल द्वारा चयनित व्यक्ति को तीन साल के लिए नियुक्त किया जाता है. इसके बाद सरकार चाहे तो इनके कार्यकाल को दोबारा बढ़ा सकती है. डिप्टी गवर्नर को 2.25 लाख रुपये प्रति महीने की सैलरी मिलती है. इसके अलावा उन्हें कई तरह के अलाउंस भी दिए जाते हैं.
आपको बता दें कि आरबीआई गवर्नर और डिप्टी गवर्नर के लिए कुछ खास शैक्षणिक योग्यता या उम्र निर्धारित नहीं की गई है. लेकिन इन पदों पर ऐसे व्यक्ति को ही चुना जाता है, जिन्हें अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल सेक्टर का अच्छा ज्ञान हो और वे इस क्षेत्र से लंबे समय से जुड़े हों.