5जी स्मार्टफोन से जुड़ी बड़ी खबर, सस्ते में आम आदमी को भी मिलेगा मोबाइल और कनेक्शन!

Update: 2021-12-13 12:20 GMT

भारत में 5G मोबाइल सेवा की हलचल शुरू हो रही है, लेक‍िन आपके मोबाइल में 5जी वाली घंटी बजने से पहले कई उलझनें सामने खड़ी हैं. स्मार्टफोन के दाम तो पहले से ही बढ़ रहे हैं. मो‍बाइल फोन तो वैसे भी महंगा हो चला है. वहीं रिचार्ज भी जेब पर भारी पड़ रहा है. अब मोबाइल ऑपरेटरों ने भी रिचार्ज के दाम बढ़ा दिए हैं. यही नहीं, मोबाइल ऑपरेटर 5G के लिए सस्ता स्पेक्ट्रम भी चाहती हैं और वे इसके टैरिफ को भी बढ़ाने के मंसूबे बना रही हैं. आपको 5 जी कितना महंगा मिलेगा. इसे समझने के लिए 5 जी के उलझे तार खोलते हैं. आपको बता दें कि दुनियाभर में 5G इक्विपमेंट्स बनाने वाली गिनी-चुनी ही कंपनियां हैं. कई देश सुरक्षा के लिहाज से चाइनीज कंपनियों से 5G इक्विपमेंट्स नहीं खरीदना चाहते हैं. अमरीका समेत कई देशों ने औपचारिक या अनौपचारिक रूप से चाइनीज वेंडर्स पर पाबंदियां लगा दी हैं. खासतौर पर हुआवे पर बैन काफी सुर्खियों में रहा है. भारत भी चाइनीज कंपनियों को ठेका नहीं दे रहा है. भारत ने भी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को चाइनीज कंपनियों या यूं कहें कि हुआवे से 5G इक्विपमेंट्स खरीदने से रोका हुआ है.

भारत में 5G लॉन्चिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सभी इक्विपमेंट, कंपोनेंट और सिस्टम्स भरोसेमंद जरियों से खरीदे गए हैं. हालांकि, उन्होंने किसी कंपनी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा सीधे तौर पर चाइनीज कंपनियों की तरफ था. इस मार्केट की दूसरी बड़ी कंपनियां एरिक्सन और नोकिया हैं. चाइनीज नेटवर्क को लेकर सुरक्षा संबंधी खतरे तो हैं लेकिन ये सस्ते पड़ते हैं. टेलीकॉम ऑपरेटरों पर चाइनीज कंपनियों पर लगा बैन भारी पड़ रहा है. नई तकनीक के नेटवर्क उपकरण महंगे होते हैं. बड़े पैमाने पर सेवा के इस्‍तेमाल तक 5G इक्विपमेंट्स की ऊंची कीमत कंपन‍ियों पर भारी पड़ेगी.

सरकार ने अभी तक 5G स्पेक्ट्रम के लिए सरकार ने रिजर्व प्राइस भी तय नहीं किया है. कंपनियों की मांग है कि स्पेक्ट्रम का दाम सरकार सस्‍ते रखे. कंपनियां चाहती हैं कि स्‍पेक्‍ट्रम सस्‍ता रहे तो क‍ि 5 जी सेवा सस्‍ती रखी जा सके. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु के सेंटर फॉर IT एंड पब्लिक पॉलिसी के प्रोफेसर वी श्रीधर ने मनी9 को बताया कि उपकरण की लागत कम करने के लिए कंपन‍ियां O-RAN आर्किटेक्चर का इस्‍तेमाल कर सकती हैं. O-RAN यानी ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क में सॉफ्टवेयर का ज्यादा इस्तेमाल होता है और हार्डवेयर की लागत कम होती है नोकिया, रिलायंस जियो, एयरटेल जैसी कंपनियां O-RAN को तैयार कर रही हैं इससे टेलीकॉम कंपनि‍यों की 5G लागत घट सकती है.

क्या है O-RAN?

ओपन रेडियो एक्सेस नेटवर्क में सॉफ्टवेयर का ज्यादा इस्तेमाल होता है और हार्डवेयर की लागत कम होती है. कई कंपनियां O-RAN को तैयार कर रही हैं इससे टेलीकॉम कंपनि‍यों की 5G लागत घट सकती है.

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