फर्जी दस्तावेज के आधार पर जाली कंपनियां बनाने एक व्यक्ति को किया गिरफ्तार, 190 करोड़ का किया फ्रॉड
जीएसटी की खुफिया जांच इकाई ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर जाली कंपनियां बनाने और उनके बीच परिचालन दिखाते हुए |
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| जीएसटी की खुफिया जांच इकाई ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर जाली कंपनियां बनाने और उनके बीच परिचालन दिखाते हुए बिल जारी कर 190 करोड़ रुपये से अधिक के नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट के मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने नई दिल्ली निवासी शमशाद सैफी को गिरफ्तार किया है। उस पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर जाली कंपनियां बनाने और उसके परिचालन दिखाने तथा बिल जारी कर 190 करोड़ रुपये से अधिक के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) बिल जारी करने का आरोप है।
हालांकि उसके पास वस्तुओं या सेवाओं की आपूर्ति या प्राप्त करने को लेकर कोई रसीद नहीं है। डीजीजीआई के मुताबिक, 'उसने कुल 190 करोड़ रुपये के आईटीसी बिलों को जारी किया।' जांच से पता चला कि मोहम्मद सैफी ने मेसर्स टेक्नो इलेक्ट्रिकल और मेसर्स लता सेल्स नाम से नई दिल्ली के पते वाली दो कंपनियां बनाई। ये कंपनियां फर्जी दस्तावेज के आधार पर बनाई गईं। ये कंपनियां ऐसे लोगों के नाम, पते पर बनाई गई जिनका कहीं अता पता नहीं है।
मेसर्स टेक्नो ने 98.09 करोड़ रुपये का आईटीसी मेसर्स लता को दिया। मेसर्स लता ने आगे 69.59 करोड़ रुपये का आईटीसी उन कंपनियों को जारी किया जो अस्तित्व में ही नहीं थी। आरोपी ने नयी दिल्ली में चार और फर्जी कंपनियां- मेसर्स ग्लैक्सी एंटरप्राइजेज, मेसर्स मून, मेसर्स सिद्धार्थ एंटरप्राइजेज और मेसर्स सन एंटरप्राइजेज बनाईं।
इन कंपनियों ने वस्तुओं की आपूर्ति किए बिना केवल बिल जारी किए। बयान के अनुसार इस मामले में जांच और सैफी के बयान के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। मामले की जांच कई स्थानों से होकर गुजरी। दस्तावेजी सबूतों और रिकॉर्ड बयानों के आधार पर यह पाया गया कि मोहम्मद सैफी ही इस पूरे मामले में मूल व्यक्ति है जिसने यह पूरा जाल बुना है।