'जीनोम एडिटिंग' का तरीका विकसित करने वालो के लिए बड़ा ऐलान, इस साल दिया जाएगा रसायन का नोबेल पुरस्कार

नोबेल पुरस्कारों की कड़ी में आज रसायन के लिए भी इस साल के पुरस्कार विजेताओं का एलान हो गया.

Update: 2020-10-07 11:26 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नोबेल पुरस्कारों की कड़ी में आज रसायन के लिए भी इस साल के पुरस्कार विजेताओं का एलान हो गया. 2012 में शारपेंटियर और डुडना ने सीआरआईएसपीआर/सीएएस9 जेनेटिक कैंचियों की खोज की थी और इसके बाद जीनोम एडिटिंग बड़े पैमाने पर होने लगा. इनकी खोज के बाद लाइफ साइंस एक नई ऊंचाई पर पहुंचा है और नोबेल कमेटी मानती है कि इससे मानवता का बहुत भला हुआ है. इनकी मदद से जीवों के डीएनए को रिसर्चर अतिसूक्ष्मता के साथ बदल सकते हैं. इस नई तकनीक के कारण कैंसर के इलाज में मदद मिली है और आनुवांशिक रोगों का इलाज संभव हो सका है.

यह पुरस्कार आमतौर पर हमारी रोजमर्रा की जिंदगी को बेहतर बनाने वाले उपायों और खोजों से जुड़ा रहा है. पिछले साल लिथियम आयन बैटरी बनाने वाली सोच को नोबेल पुरस्कार दिया गया था. 2019 में रसायन के लिए पुरस्कार जीतने वाले वैज्ञानिक थे जॉन गुजेनॉफ, एम स्टैनली व्हिटिंघम और अकीरा योसिनो. नोबेल कमेटी ने लिखा कि इन वैज्ञानिकों की खोज से आज का समाज बेतार होने के साथ ही जीवाश्म ईंधन से मुक्त हो सकता है.

अब तक कुल 111 बार रसायन के लिए नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं और विजेताओं की संख्या 183 है. 1901 से इन पुरस्कारों का सिलसिला चल रहा है लेकिन बीच में आठ साल ऐसे रहे जब यह पुरस्कार नहीं दिए गए. 63 लोगों ने यह पुरस्कार अकेले जीता है. 23 बार दो विजेताओं में पुरस्कार बांटा गया और 25 बार इसके तीन विजेता रहे. 2009 में वेंकी रामाकृष्णन को रसायन का नोबेल पुरस्कार मिला था और वो इस कतार में अकेले भारतीय हैं.

1911 में जब मैरी क्यूरी को रसायन का नोबेल पुरस्कार दिया गया तो वो दुनिया की पहली वैज्ञानिक थीं जिन्होंने दो बार नोबेल पुरस्कार जीता. वैसे रसायन के लिए दो बार नोबेल पुरस्कार जीतने वाले वैज्ञानिक फ्रेडरिक सेंगर हैं. उन्होंने 1958 और 1980 में यह पुरस्कार मिला. रसायन के लिए कुल पांच महिलाओं ने नोबेल पुरस्कार जीता है. इनमें मैरी क्यूरी के अलावा इरेने जोलियट क्यूरी (मैरी क्यूरी की बेटी) डोरोथी क्रॉफुट हॉगकिन, अडा योनाथ और फ्रांसिस एच अर्नॉल्ड शामिल हैं.

1935 में पुरस्कार हासिल करने वाले फ्रेडेरिक जोलियट रसायन के लिए सबसे युवा नोबेल विजेता हैं. उस वक्त उनकी उम्र महज 35 साल थी. सबसे बुजुर्ग विजेता के रूप में जॉन बी गुडेनॉफ का नाम दर्ज है जिन्होंने 97 साल की उम्र में रसायन का नोबेल पुरस्कार हासिल किया.

नोबेल पुरस्कार से इनकार

इन पुरस्कारों के इतिहास में ऐसा भी हुआ है जब नोबेल विजेताओं को इन्हें ठुकराने पर विवश किया गया. जर्मनी के रिचर्ड कुन को 1938 में और अडोल्फ बुटेनान्ड्ट को 1939 में रसायन के लिए नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा हुई. 1939 में ही जर्मनी के गेरहार्ड डोमाग्क भी मेडिसिन के लिए नोबेल विजेता बने. हालांकि तब देश के शासक रहे अडोल्फ हिटलर ने उनके पुरस्कार लेने पर रोक लगा दी. इन लोगों को बाद में नोबेल पुरस्कार का सर्टिफिकेट और मेडल तो दिया गया लेकिन पुरस्कार की राशि नहीं मिली.

डायनामाइट का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की संपत्ति से यह पुरस्कार दिया जाता है. 1895 में अल्फ्रेड नोबेल ने अपनी अंतिम वसीयत पर दस्तखत किए थे और अपनी संपत्ति का ज्यादातर हिस्सा इन पुरस्कारों के लिए दान कर दिया था. दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार के विजेता को करीब 11 लाख अमेरिकी डॉलर की रकम मिलती है.

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