विश्व की वो अद्भुत और अविश्वसनीय चीजें, जिनके बारे में जानकर आपको भी नहीं होगा यकीन
दुनिया आश्चर्यजनक जीवों, प्राकृतिक संरचनाओं और जगहों से भरी हुई है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया आश्चर्यजनक जीवों, प्राकृतिक संरचनाओं और जगहों से भरी हुई है. कई बार हम ऐसी चीजों के बारे में जानते, सुनते या देखते हैं, जो हमारे लिए अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय प्रतीत होती हैं. बहुत सारी चीजें प्रकृति की देन हैं तो कई चीजों की खोज मनुष्यों ने की है. दुनिया की रहस्यमय गुफाओं और पर्वतों से लेकर जल, थल और नभ में जिंदा रहने वाले अलग तरह के जीवों के बारे में आपने भी पढ़ा होगा. हम यहां कुछ ऐसी ही अद्भुत चीजों और जगहों के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में जानना आपको रोमांचक लगेगा.
दुनिया का सबसे अनोखा ज्वालामुखी, जो उगलता है नीला लावा
ज्वालामुखी का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में पहाड़ की चोटी से बहते लाल लावा की तस्वीर उभरती है. लेकिन इंडोनेशिया में एक ऐसा ज्वालामुखी है, जो लाल नहीं, बल्कि नीले रंग का ज्वाला उगलता है. किसी साइंस फिक्शन मूवी की तरह दिखने वाला यह ज्वालामुखी हमेशा से वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय रहा है. कावा ईजन नाम के इस ज्वालामुखी को ब्लू फायर क्रेटर के नाम से भी जाना जाता है. रात में देखने पर ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा नीली चमक लिए हुए होता है. स्मिथसोनियन पत्रिका के अनुसार, सल्फर गैस की उच्च मात्रा के कारण लावा के साथ नीले रंग का उत्सर्जन होता है. जब गैस आग पकड़ती है, तो यह एक नीले—बैंगनी रंग के साथ जलता है और अद्भुत दिखता है.
सफेद चमचमाती क्रिस्टल से भरी अद्भुत गुफा
क्रिस्टल गुफा पूरी दुनिया की सबसे असामान्य और अद्भुत गुफा है. यह मेक्सिको के चिहुआहुआ शहर में स्थित है, जिसकी गहराई 300 मीटर है. यह गुफा विशाल जिप्सम क्रिस्टल से भरी है. 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में यहां सबसे बड़े क्रिस्टल की खोज की गई थी, जिसकी लंबाई 11 मीटर और वजन 54 टन है. गुफा के अंदर का तापमान 100 फीसदी आर्द्रता के साथ 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है. इस गुफा की खोज साल 2000 में मेक्सिकन खनिकों द्वारा की गई थी. यह गुफा कितनी पुरानी हो सकती है, इस बारे में पक्का पता तो नहीं है, लेकिन शोधकर्ताओं का कहना है कि एक क्रिस्टल में 50 हजार साल पुराने बैक्टीरिया के नमूने पाए गए थे.
साल्ट कैथेड्रल: नमक की गुफा में अद्भुत चर्च
कोलंबिया के कुंडिनमर्का में एक अद्भुत अंडरग्राउंड रोमन कैथोलिक चर्च है, जिसे नमक की गुफा वाले चर्च के नाम से जाना जाता है. जमीन से लगभग 180 मीटर नीचे एक विशाल भूमिगत नमक की गुफा जिपाक्विरा है. इसकी खुदाई साल 1954 में हुई थी. यह पूरी तरह से नमक से बना है. यहां चट्टानों पर उकेरी कलाकृतियां अचंभित करती हैं. कैथेड्रल में एक विशाल क्रॉस बना हुआ है. यह भी पूरी तरह नमक का ही है. जानकर आश्चर्य होगा कि यहां की क्षमता 10 हजार लोगों की है. हालांकि आजतक कभी इतने लोग यहां जुटे नहीं हैं.
रेनबो यूकेलिप्टस: इंद्रधनुष की छटा बिखेरते पेड़
क्या आपने इंद्रधनुष की तरह छटा बिखेरते पेड़ों को देखा है? हम बात कर रहे हैं, रेनबो यूकेलिप्टस यानी इंद्रधनुष नीलगिरी के पेड़ के बारे में. इस पेड़ का गहन रंग और कसैला सुगंध लोगों का आकर्षित करता है. यह फिलीपींस, न्यू गिनी और इंडोनेशिया के उष्णकटिबंधीय जंगलों में पनपता है, जहां बहुत ज्यादा बारिश होती है. इसकी ऊंचाई की बात करें तो यह सामान्यत: करीब 100 से 125 तक बढ़ता है. वहीं, कुछ पेड़ अपने मूल वातावरण में 250 फीट तक भी बढ़ जाते हैं.
एयरोजेल: जैसे बादल का एक टुकड़ा
एयरजेल, द्रव और गैस से बना एक अल्ट्रालाइट पदार्थ होता है, जिसे 'फ्रोजन स्मोक' या 'सॉलिड क्लाउड' भी कहा जाता है. साल 1931 में सैमुअल स्टीफेंस किस्टलर ने पहली बार एरोजेल बनाया था, जो बिना सिकुड़न के गैस के साथ द्रव यानी तरल को जेली में बदल सकते थे. रासायनिक प्रक्रिया के जरिए वैज्ञानिक अबतक कई तरह के एयरोजेल बना चुके हैं, जो समान गुण रखते हैं. एयरोजेल में एक तरह के इंसुलेट गुण पाए जाते हैं. जैसे अगर एयरोजेल के टुकड़े पर किसी फूल को रखा जाए और नीचे आग जला दी जाए, तो भी फूल सुरक्षित रहता है. यह बादल के टुकड़े की तरह दिखता है.
धरती से सबसे दूर स्थित समुद्री पॉइंट, जो है नासा का डंपिंग स्टेशन
मानव ने जमीन अंतिम छोर के बारे में तो समझ लिया है, लेकिन समुद्र की परिमाप और इससे जुड़े रहस्यों पर अबतक खोज चल रही है. समुद्र में एक ऐसी जगह भी है, जहां से जमीनी दूरी सर्वाधिक है. समुद्र के मध्य स्थित जगह को ही नेमो पॉइंट कहा गया हैं, जहां से आगे दूर-दूर तक कोई सूखी जमीन नहीं हैं. भौगोलिक स्थिति की बात करें तो यह अंटार्कटिका के पास ड्यूकी द्वीप, मोटू नुई और मैहर द्वीप द्वारा बनाए गए त्रिकोण के केंद्र में स्थित है. पॉइंट नेमो को अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा ने उपयुक्त डंपिंग स्टेशन बना रखा है. नासा के अनुसार छोटे सेटेलाइट पॉइंट नेमो पर आकर नहीं बिखरते, क्योंकि घर्षण के कारण इनसे निकलने वाली ऊष्मा इन्हें धरती पर पहुंचने से पहले ही जला देती हैं. पॉइंट नेमो की जरूरत तब होती है, जब बड़े स्पेस क्राफ्ट्स या स्पेस स्टेशन धरती पर वापस लौटते हैं.