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एड्स के लक्षण फ्लू की तरह कॉमन हो सकते हैं जानें इसके लक्षण और बचाव के तरीके
जकन्ता से रिश्ता वेबडेस्क। एड्स आज भी दुनिया की सबसे भयंकर बीमारी मानी जाती है. WHO के मुताबिक, साल 2019 के अंत तक पूरी दुनिया में इस बीमारी के 3 करोड़ 80 लाख मरीज थो. UNAIDS की रिपोर्ट कहती है कि साल 2019 में एड्स के 17 लाख नए मामले सामने आए हैं. इसी वर्ष 6 लाख 90 हजार लोगों की मौत इस बीमारी से जुड़े कारणों से हुई. एड्स के प्रति लोगों में जागरुकता के उद्देश्य से हर साल 1 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World Aids Day 2020) मनाया जाता है. आइए जानते हैं इस बीमारी के लक्षण और बचाव क्या हैं.
पहले लक्षण- एक्सपर्ट कहते हैं कि एचआईवी ( Human Immunodeficiency Virus) लक्षण तीन अलग-अलग स्टेज पर निर्भर करते हैं. ये भी जरूरी नहीं कि हर इंसान में एचआईवी के लक्षण समान हों. 2 से 4 हफ्तों के बीच दो-तिहाई लोगों में एचआईवी के लक्षण फ्लू जैसे दिखते हैं.
पहले स्टेज के लक्षण- एचआईवी के पहले स्टेज पर रोगी को बुखार, ठंड, रात में पसीना, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, थकावट, मुंह में छाले और शरीर पर लाल चकत्ते की समस्या हो सकती है. शरीर में लगातार ऐसी समस्या होने पर आपको तुरंत डॉक्टर से इसकी जांच करानी चाहिए.
इस स्टेज पर मुंह, स्किन या नाक में लाल, ब्राउन, गुलाबी या बैंगनी रंग के छाले भी निकल सकते हैं. इसके अलावा मेमोरी लॉस और डिप्रेशन जैसे न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर भी कई रोगियों में देखे जा सकते हैं. इस तरह के लक्षण किसी अन्य बीमारी के कारण भी हो सकते हैं. इसलिए घबराने की बजाए इसकी जांच करवाएं.
कैसे फैलता है एड्स- बिना प्रोटेक्शन के संभोग करने की स्थिति में एड्स फैलने की संभावना ज्यादा होती है. एक ही सिरिंज या सूई का इस्तेमाल अगर बार-बार किया जाए तो इससे भी संक्रमण फैलने का खतरा काफी बढ़ जाता है. एचआईवी संक्रमित रक्त से दूषित सूई या चिकित्सक उपकरणों का इस्तेमाल किसी दूसरे पर करने से भी यह फैल सकता है. संक्रमित योनि स्राव, वीर्य और खुले घावों के संपर्क में आने से भी बीमारी फैल सकती है. संक्रमित महिला के शिशु को स्तनपान कराने से भी यह हो सकता है.
क्या हैं एड्स से बचाव- शरीर में वायरस के ज्यादा हावी होने के इसे कंट्रोल करना काफी मुश्किल हा जोता है. एड्स के उपचार में एंटी रेट्रोवाइरल थेरपी और दवाइयों का उपयोग किया जाता है. इन दवाइयों का मुख्य उद्देश्य एचआईवी के प्रभाव को काम करना, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना और अवसरवादी रोगों को ठीक करना होता है. लेकिन आए दिन इसे लेकर कई अभियान चलाए जाते हैं जिनमें बताया जाता है कि एड्स से सुरक्षा ही एड्स का इलाज है.