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Zolgensma है दुनिया की सबसे कीमती दवा, दाम है 18 करोड़ से ज्यादा, इस बीमारी में आती है काम

jantaserishta.com
10 March 2021 4:11 AM GMT
Zolgensma है दुनिया की सबसे कीमती दवा, दाम है 18 करोड़ से ज्यादा, इस बीमारी में आती है काम
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किसी भी बीमारी का इलाज दवाओं से होता है. कई बार ये दवाएं इतनी महंगी होती हैं कि आम इंसान इनकी कीमत के बारे में सोच भी नहीं सकता. बीमारी दुर्लभ हो तो उसका इलाज भी जटिल होता है या फिर बेहद महंगा होता है. ऐसी ही एक दुर्लभ बीमारी के लिए बनाई गई थी दुनिया की ये सबसे महंगी दवा. इसके एक डोज की कीमत है- 1.79 मिलियन पाउंड यानी 18.20 करोड़ भारतीय रुपए. लेकिन वैज्ञानिकों का दावा है कि इस दवा की एक डोज से बीमारी ठीक हो जाएगी.

ये दवा जिस बीमारी के लिए बनी है उसका नाम है स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy - SMA). इसे ठीक करने वाली दवा का नाम है जोलजेन्स्मा (Zolgensma). इसे इंग्लैंड की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने SMA के इलाज के लिए स्वीकृति दी है. इससे पहले इस दवा को अमेरिका ने स्वीकृति दी थी.
इंग्लैंड में हर साल करीब 80 बच्चे SMA बीमारी के साथ पैदा होते हैं. लेकिन इस एक दवा से वो ठीक हो सकते हैं. मुद्दा सिर्फ इतना ही बनता है कि क्या इतनी महंगी दवा हर कोई खरीद सकता है? इस बीमारी में बच्चे की स्पाइनल कॉर्ड यानी रीढ़ की हड्डी से संबंधित लकवा हो सकता है. ये स्थिति शरीर में एक जीन की कमी से होता है.
इस जीन की कमी को पूरा जोलजेन्स्मा (Zolgensma) दवा अत्यधिक कारगर है. यह एक डोज ही शरीर में लापता जीन को वापस रिस्टोर करके बच्चे के तंत्रिका तंत्र यानी नर्वस सिस्टम को ठीक कर देता है. स्पाइनल कॉर्ड से संबंधित लकवा का अटैक बच्चों पर नहीं होने पाता.
जोलजेन्स्मा (Zolgensma) को दुनिया की प्रसिद्ध दवा कंपनी नोवार्टिस (Novartis) ने बनाया है. NHS इंग्लैंड के चीफ एग्जीक्यूटिव सर साइमन स्टीवन्स ने कहा कि दवा कंपनी के साथ इस दवा का डील करके हमनें एक पीढ़ी को बचाने की कोशिश की है. क्योंकि ये बीमारी अत्यधिक क्रूर है. इससे पीड़ित बच्चों के परिजनों की हालत खराब हो जाती है.
स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy - SMA) बीमारी होने के बाद बच्चा अधिक से अधिक 3 साल तक जी सकता है. इस दौरान उसे लकवा, मांसपेशियों का काम न करना, शरीर में ताकत न रहना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. स्टडीज में ये बात सामने आई है कि जोलजेन्स्मा (Zolgensma) का एक इंजेक्शन बच्चों को बिना वेंटिलेटर के सांस लेने में मदद करता है.
जोलजेन्स्मा (Zolgensma) की वजह से बच्चे उठ-बैठ सकते हैं, रेंग सकते हैं और चल भी सकते हैं. इस दवा में SMN1 नामक जीन्स की प्रतिकृति (Replica) होती है, जो शरीर के नर्वस सिस्टम में जाकर लापता जीन्स की जगह ले लेती है. इसके बाद शरीर में विशेष प्रकार के प्रोटीन का रिसाव करती है, जिससे बच्चा अपनी मांसपेशियों का नियंत्रण कर सकता है और नर्वस सिस्टम को ठीक कर सकता है.
इंग्लैंड के हेल्थ सेक्रेटरी मैट हैनकॉक (Matt Hancock) ने कहा कि ये दवा गेम चेंजर साबित होगी. बच्चे दुर्लभ SMA बीमारी से ठीक हो सकेंगे. हम इस दवा को NHS में शामिल करके इंग्लैंड समेत पूरे यूरोप के बच्चों का इलाज कर सकेंगे. यहां तक कि दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले बच्चे अगर इस बीमारी से ग्रसित हैं तो वो इंग्लैंड आकर इस इलाज का लाभ ले सकते हैं.
जोलजेन्स्मा (Zolgensma) दवा का ट्रायल 7 से 12 महीने तक के उम्र वाले बच्चों पर किया गया है. इसे बाजार में लाने से पहले अमेरिका में और यूरोप में राष्ट्रीय स्तर के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों की जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है. ऑर्गेनाइजेशन ऑफ रेयर डिजीस इंडिया (Organisation of Rare Diseases India) की वेबसाइट के मुताबिक भारत में स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy - SMA) बीमारी से 3 लाख बच्चे ग्रसित हैं, लेकिन इस बीमारी के बारे में लोगों को जानकारी कम है. इसलिए इलाज नहीं हो पाता.
24 मई 2019 को अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy - SMA) बीमारी के इलाज के लिए जोलजेन्स्मा (Zolgensma) को स्वीकृति दी थी. यह दुनिया की पहली जीन थैरेपी है जो दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए तैयार की गई है.


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