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वैज्ञानिकों ने 375 साल बाद इस तरह से खोजा
अब तक हमें भूगोल और भूविज्ञान की किताबों में यही पढ़ाया गया है कि धरती पर कुल 7 महाद्वीप हैं लेकिन अब सैटलाइट तस्वीरों से इस बारे में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इन तस्वीरों से पता चला है कि पृथ्वी पर कुल सात नहीं बल्कि 8 महाद्वीप हैं। आठवां महाद्वीप न्यूजीलैंड के पास है और 94 फीसदी समुद्र के नीचे डूबा हुआ है। इस खोज के बाद अब माना जा रहा है कि नीदरलैंड के खोजकर्ता अबेल तस्मान सही थे। उन्होंने वर्ष 1642 में कहा था कि दक्षिणी गोलार्द्ध में एक विशाल महाद्वीप मौजूद है और वह इसे खोजने के लिए प्रतिबद्ध थे। आइए जानते हैं धरती के इस आठवें महाद्वीप और उसके भारत के साथ रिश्ते के बारे में सबकुछ...
वैज्ञानिकों ने 375 साल बाद इस तरह से खोजा 'जीलैंडिया'
नीदरलैंड के खोजकर्ता अबेल को इस बात का एहसास नहीं था कि यह आठवां महाद्वीप 94 फीसदी पानी के नीचे है। वर्ष 1995 में अमेरिकी भूगर्भ विज्ञानी ब्रूस लुयेन्डक ने एक बार फिर से न्यूजीलैंड के आसपास के इलाके को एक महाद्वीप बताया और इसे 'जीलैंडिया' नाम दिया था। इसके बाद अमेरिकी भूगर्भ सर्वे विभाग ने एक शोध कराया जिसमें धरती की सतह की आंतरिक तस्वीरों को शामिल किया। इनमें सैटलाइट कैमरे की मदद से महाद्वीपीय परत और समुद्री परत को अलग-अलग किया गया और टैक्टोनिक प्लेटों की पहचान की गई। इस तकनीक में सैटलाइट डेटा का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक की मदद से समुद्र की सतह की माप के लिए पृथ्वी की अलग-अलग परत में गुरुत्वाकर्षण में छोटे से छोटे बदलाव को भी ट्रैक करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने जब इस आंकड़े को मिलाया तो जीलैंडिया का स्वरूप स्पष्ट रूप से उभरकर सामने आ गया। जीलैंडिया महाद्वीप ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप की तरह से ही विशाल था जो गोंडवाना महाद्वीप की कुल 5 प्रतिशत जमीन पर बसा था।
'जीलैंडिया महाद्वीप' का भारत से था गहरा नाता
अमेरिकी भूगर्भ सर्वे विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जीलैंडिया क्षेत्रफल के लिहाज से विस्तृत भारत की तरह से था जो बेहद विशाल गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा था। उस समय भारत, ऑस्ट्रेलिया, अंटारकर्टिका, अफ्रीका और साउथ अमेरिका गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा थे। उन्होंने कहा कि जीलैंडिया सबसे युवा, सबसे पतला और ज्यादातर पानी के नीचे डूबा हुआ है। एक महाद्वीप की परिभाषा क्या हो, इसको लेकर वैज्ञानिकों के बीच में विवाद है। आम राय यह है कि एक महाद्वीप के अंदर ये लक्षण होना जरूरी है... 1-महाद्वीप समुद्र तल से ऊपर उठे हुए हों, 2-सिलिकामय, रूपांतरित, अवसादी तीन तरह की चट्टानें मौजूद हों, 3-समुद्री परत की तुलना में स्थलीय परत मोटी हो, 4-एक काल्पनिक क्षेत्र हो जो विशाल फलक में फैला हो और उसका रूप समुद्र से अलग हो। अमेरिकी भूगर्भ सर्वे के मुताबिक पहले तीन बिन्दू किसी महाद्वीप के परत के निर्णायक तत्व हैं और कई भूविज्ञान की किताबों और समीक्षा में इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। हमारी समझ से तीसरे बिन्दू कितनी बड़ी महाद्वीपीय परत को एक महाद्वीप कहा जाए, इसके बारे में कभी चर्चा नहीं हुई है।
अबेल तस्मान ने किया था 'जीलैंडिया' को खोजने का दावा
विशेषज्ञों ने कहा कि ऐसा संभवत: इसलिए है कि यह मान लिया गया था कि छह भूगर्भीय उपमहाद्वीपों यूरेशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अंटारकर्टिका और ऑस्ट्रेलिया के नाम सभी महाद्वीपीय परतों के बारे में बताने के लिए पर्याप्त हैं। अमेरिकी भूगर्भ सर्वे ने अपनी खोज के महत्व को इन शब्दों में कहा है, 'जीलैंडिया के नाम को वर्गीकृत करना लिस्ट में एक अतिरिक्त नाम जोड़ने से कहीं ज्यादा है। यह उपमहाद्वीप अखंडित रूप से काफी डूबा हुआ हो सकता है लेकिन भूगतिविज्ञान को समझने की चाह रखने वाले लोगों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण हो सकता है जो महाद्वीप परतों के संबंध और उनके टूटने को जानना चाहते हैं। बताया जाता है कि अबेल तस्मान ने 14 अगस्त 1642 को इंडोनेशिया के जकार्ता से समुद्र में सफर शुरू किया था। वह पहले पश्चिम गए, फिर दक्षिण, फिर पूर्व और अंत में उनका सफर न्यूजीलैंड के साउथ आइलैंड पर खत्म हुआ था। जब वह साउथ आइलैंड पहुंचे तो स्थानीय लोगों से उनकी लड़ाई हो गई थी। इसमें चार यूरोपीय लोग मारे गए थे। इसके बाद तस्मान वापस लौट आए लेकिन उनका मानना था कि उन्होंने एक महान दक्षिण उपमहाद्वीप की खोज की है। इस द्वीप को बाद में टेरा ऑस्ट्रलिस कहा गया।
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