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अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के घुसने के साथ अफरातफरी का माहौल है
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में तालिबान के घुसने के साथ अफरातफरी का माहौल है। तालिबान के सख्त कानूनों और सजाओं से बचने के लिए हजारों की संख्या में लोग दूसरे देशों में जाने के लिए सीमाओं और एयरपोर्ट पर इकट्ठा हो गए। कई लोग सैन्य विमानों के पीछे दौड़ते-भागते नजर आए। इस बीच जहां अफगानिस्तान में युद्ध में शामिल कई पश्चिमी देशों ने अपनी सेना की मदद करने वाले अफगानों को शरण देने की बात कही है, वहीं भारत ने भी वहां फंसे लोगों को शरण देने के साथ सुरक्षित निकालने की बात कही है।
Huge crowd outside #Kabul airport. Everyone wants to get inside the airport in the hope of evacuation and fleeing #Afghanistan . How many of them will get lucky? pic.twitter.com/KwVJQxM4wQ
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) August 20, 2021
अब तक भारत के अलावा कौन से देश अफगान नागरिकों की मदद के लिए आगे आए हैं और कौन से देशों ने मदद से इनकार कर दिया। सबसे अहम बात यह है कि शरणार्थियों को लेने से इनकार करने वाले ज्यादातर देश अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता का स्वागत कर चुके हैं या काबुल में आगे स्थिति बेहतर होने की उम्मीद जता चुके हैं।
किन देशों ने किया अफगान शरणार्थियों को लेने का ऐलान?
1. ब्रिटेन
जिन देशों ने अब तक अफगानिस्तान से निकलने वाले लोगों को शरण देने का ऐलान किया है, उनमें सबसे ताजा नाम यूके का है। द टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन ने तालिबान के शासन के डर से भागे लोगों को अपने शरणार्थी कार्यक्रम के समानंतर स्कीम के जरिए शरण देने की योजना रखी है। बताया गया है कि ब्रिटिश सरकार तकरीबन 20 हजार अफगान शरणार्थियों को बसाएगी। इनमें से पांच हजार शरणार्थी पहले ही साल में यूके में बसाए जाएंगे। ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने कहा कि उनकी कोशिश रहेगी कि अफगानिस्तान से भागकर आने वाली महिलाओं और अल्पसंख्यकों को ज्यादा से ज्यादा शरण दी जाए।
2. अमेरिका
अमेरिका के रक्षा विभाग ने अफगानिस्तान के हालात देखते हुए हजारों शरणार्थियों को बसाने का लक्ष्य रखा है। स्थानीय मीडिया के मुताबिक, इन शरणार्थियों को विस्कॉन्सिन में फोर्ट मैकॉय और टेक्सास के फोर्ट ब्लिस स्थित सैन्य ठिकानों पर रखा जाएगा। माना जा रहा है कि पहले चरण में ही अफगानिस्तान के 30 हजार नागरिकों को अमेरिका में बसाया जाएगा। इसके अलावा करीब 4 हजार आवेदकों और उनके परिवार जिनको अमेरिका में सिक्योरिटी क्लियरेंस नहीं मिली है, उन्हें अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद किसी तीसरे देश में बसाया जाएगा।
3. भारत
भारत ने अफगानिस्तान में मौजूदा हालात को देखते हुए मंगलवार को घोषणा की थी कि यहां आने की इच्छा रखने वाले अफगान नागरिकों के लिए एक आपातकालीन 'ई-वीजा' जारी किया जाएगा। किसी भी धर्म के सभी अफगान नागरिक 'ई-आपातकालीन एवं अन्य वीजा' के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और नई दिल्ली में उनकी अर्जियों पर कार्रवाई होगी। अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता पर कब्जा जमाने के दो दिन बाद यह घोषणा कर दी गई थी। न्यूज एजेंसी के सूत्रों के मुताबिक, एक दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने भी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की बैठक में कहा था कि अफगानिस्तान में फंसे अल्पसंख्यकों को भारत में तुरंत शरण देने के इंतजाम किए जाएंगे।
4. कनाडा
कनाडा ने रविवार को ही अफगानिस्तान में अपने दूतावास को बंद कर दिया और फिलहाल अफगान सरकार से अपने सारे राजनयिक रिश्तों को निलंबित कर दिया है। हालांकि, कनाडा की जस्टिस ट्रूडो सरकार ने पहले ही अफगान नागरिकों की मदद का ऐलान करते हुए कहा था कि वे 20 हजार लोगों को देश में पनाह देंगे। इनमें महिला नेताओं के साथ, सरकारी नौकरी करने वाले लोग और तालिबान की धमकी का सामना करने वाले नागरिक शामिल होंगे। इसके अलावा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, अल्पसंख्यकों और एलजीबीटी लोगों की मदद भी की जाएगी।
5. अल्बानिया
अफगानिस्तान से जारी भागे प्रवासियों को शरण देने के लिए अल्बानिया भी आगे आया है। वहां की सरकार ने अमेरिका की मदद करने वाले अनुवादकों के साथ सरकारी अफसरों और महिला नेताओं को लेने का आश्वासन दिया है। बता दें कि अल्बानिया पहले से ही NATO गठबंधन का हिस्सा है। उसके पीएम इदी रामा ने हाल ही में लिखा था कि नाटो का सदस्य होने के नाते हम अपने हिस्से का बोझ उठाने के लिए तैयार हैं।
6. ताजिकिस्तान
इन सबके बीच जो एक छोटा देश शरणार्थियों की मदद में सबसे आगे रहा है, वह है ताजिकिस्तान। ताजिक सरकार ने अफगानिस्तान के हालात को देखते हुए जुलाई में ही एक लाख अफगान नागरिकों को शरण देने का ऐलान कर दिया था। अफगानिस्तान के पड़ोस में होने की वजह से बड़ी संख्या में सैन्य अधिकारी भी ताजिकिस्तान में शरण देने की मांग कर चुके हैं।
कौन से देश अस्थायी तौर पर शरण देने के लिए तैयार?
1. मैकेडोनिया
उत्तरी मैकेडोनिया ने मंगलवार को घोषणा की कि वह अफगानिस्तान के लोगों को अस्थायी तौर पर शरण देगा। फिलहाल इस देश ने 450 लोगों को शरण देने की बात कही है, इनमें ज्यादातर पत्रकार, ट्रांसलेटर और छात्र शामिल हैं। इनमें आधे से ज्यादा अमेरिका के नेशनल डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूट (एनडीआई) नाम की अमेरिकी गैर-सरकारी संस्था के सदस्य हैं, जो कि अफगानिस्तान में रहकर काम कर रहे थे। फिलहाल सभी शरणार्थियों को उत्तरी मैकेडोनिया के होटलों में रखा जाएगा और उनकी देखभाल का खर्च अमेरिका और बाकी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं उठाएंगी।
2. कतर
जानकारी के मुताबिक, अमेरिकी सरकार अफगान शरणार्थियों को पनाह देने के लिए कतर सरकार से भी चर्चा कर रही है। कतर से कहा गया है कि वह अमेरिकी सेना के साथ काम करने वाले लोगों को सुरक्षित रखे। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर यह डील साइन होती है, तो करीब 8 हजार शरणार्थी कतर के दोहा पहुंच सकते हैं।
3. युगांडा
युगांडा ने मंगलवार को ही ऐलान किया कि वह अमेरिका की मांग पर अफगानिस्तान के शरणार्थियों को लेने पर विचार कर रहा है। युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने कहा कि वे मौजूदा संकट में किसी भी तरह की मदद के लिए तैयार हैं। फिलहाल इस मामले पर बातचीत जारी है। बता दें कि युगांडा पहले ही दुनिया की सबसे बड़ी शरणार्थी आबादी वाला देश है। यूनाइटेड नेशंस के मुताबिक, फिलहाल इस देश में 15 लाख रिफ्यूजी रह रहे हैं। इनमें से ज्यादातर दक्षिण सूडान और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो से हैं।
किन देशों ने शरणार्थियों को लेने से किया साफ इनकार?
1. पाकिस्तान
अफगानिस्तान में मौजूदा संकट के लिए जिस देश को सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, वह है पाकिस्तान। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन के दौरान तालिबान के लड़ाकों को सुरक्षित पनाह देने वाले पाकिस्तान ने अब वहां के नागरिकों को भी लेने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि वह चाहते तो हैं, लेकिन फिलहाल वे और शरणार्थियों को लेने की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने इसकी पूरी जिम्मेदारी संयुक्त राष्ट्र पर डालते हुए कहा कि यूएन को मदद के लिए आगे आकर अफगानिस्तान की सीमाओं पर कैंप लगाकर शरण मांगने वालों की मदद करनी चाहिए। इसके अलावा पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी ऐसे ही बयान दे चुके हैं।
2. तुर्की
मौजूदा समय में तुर्की में अफगानिस्तान के सबसे ज्यादा नागरिक रह रहे हैं। यहां अफगान शरणार्थियों की संख्या करीब 1 लाख 20 हजार है। इसके अलावा सीरिया के 36 लाख नागरिक भी तुर्की में ही रखे गए हैं। इन स्थितियों को देखते हुए तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन ने अफगानिस्तान से आने वाले और लोगों को लेने से इनकार कर दिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्की अपनी ईरान सीमा पर दीवार भी बना रहा है, ताकि अफगान लोगों को आने से रोका जा सके। इस बीच उसने अफगानिस्तान में तालिबान राज से काफी उम्मीद भी जताई है।
3. हंगरी
हंगरी के एक अधिकारी ने हाल ही में अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने की आलोचना की थी और कहा था कि वह किसी भी कीमत पर शरणार्थियों को नहीं लेगा। हंगरी के विदेश मंत्रालय के अधिकारी लेवंते मगयार ने कहा था कि सरकार खराब भौगोलिक फैसलों के लिए हंगरी के नागरिकों को कीमत नहीं चुकाने देगी। हंगरी की दक्षिणपंथी सरकार पहले ही अप्रवासी नागरिकों को लेने के खिलाफ रही है और पश्चिम एशिया और अफ्रीका से आने वाले शरणार्थियों को रोकने के लिए दीवार भी बना चुकी है।
4. ईरान
ईरान ने रविवार को कहा है कि वह पड़ोसी अफगानिस्तान से भागने वाले शरणार्थियों के लिए तीन प्रांतों में अस्थायी निर्माण कर रहा है। हालांकि, ईरान ने साफ कर दिया है कि उसकी एक सीमा है, जिसके आगे वह शरणार्थियों को नहीं ले सकता। माना जा रहा है कि शिया बहुल ईरान अपने अफगानिस्तान से लगते 900 किमी बॉर्डर को ध्यान में रखते हुए सुन्नी हुकूमत की पैरवी करने वाले तालिबान से बेहतर रिश्ते चाहता है। इसलिए उसने शरणार्थियों पर कड़ा बयान दिया है।
5. उज्बेकिस्तान
पड़ोसी देश उज्बेकिस्तान अफगान शरणार्थियों की बाढ़ आने को लेकर चिंतित है। हाल के महीनों में उज्बेकिस्तान के वीजा के लिए आवेदन देने वाले अफगान नागरिकों ने बताया कि मध्य एशियाई देश कोरोनावायरस की चिंताओं का हवाला देते हुए अफगान नागरिकों को वीजा देने से इनकार कर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि उज्बेकिस्तान के प्राधिकारी अफगानिस्तान के साथ सीमा पर कड़ी सुरक्षा बरतते रहे हैं और उन्हें चरमपंथियों के देश में घुसने का डर रहता है तथा उन्होंने अस्थिर पड़ोसी देश से केवल कुछ ही शरणार्थियों को पनाह दी है। अफगानिस्तान में हाल के महीनों में तालिबान के एक के बाद एक शहर पर कब्जा करने के कारण उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान में प्राधिकारयिों ने सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है।
6. बांग्लादेश
इस बीच भारत के पड़ोस में स्थित बांग्लादेश ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका की अपील के बावजूद अफगान नागरिकों को शरण नहीं दे सकता। बांग्लादेश के विदेश मंत्री अब्दुल मोमिन ने कहा है कि उनका देश पहले ही म्यांमार से आए रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या झेल रहा है और ऐसे में वह अफगान नागरिकों को अपने यहां शरणार्थी नहीं बना सकता। अमेरिका ने राजनयिक संपर्क सूत्रों के जरिए बांग्लादेश को अफगान नागरिकों को अपने यहां शरण देने का आग्रह किया था। बांग्लादेश पहले ही साफ कर चुका है कि वह अफगानिस्तान में हर उस सरकार का समर्थन करेगा जो अफगान की जनता के द्वारा चुनी जाएगी।
क्या होगा अफगान शरणार्थियों का भविष्य?
अफगानिस्तान की शरणार्थी समस्या आने वाले समय में पूरी दुनिया के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में अनुमान जताया कि तालिबान के डर से करीब 4 लाख अफगान पहले ही अपने घर से भागकर विस्थापितों की तरह जिंदगी बिताने पर मजबूर हैं। इनमें से अधिकतर अभी भी अफगानिस्तान में ही फंसे हैं। इसके अलावा अमेरिकी सेना के मिशन के दौरान 2020 के अंत तक करीब 29 लाख अफगान नागरिक घर में शरणार्थी की तरह रहने को मजबूर हो गए थे।
बताया जाता है कि मई के बाद से करीब ढाई लाख अफगान अपने घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं, इनमें से 80 फीसदी महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। मौजूदा समय में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संस्था- यूएनएचसीआर शरणार्थियों के रहने और उनके लिए जरूरतों की चीजें मुहैया करा रही हैं।
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