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यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में आए भूकंप के 105 झटके, जानें अब क्या करने वाला है NASA

Gulabi
7 April 2021 4:39 PM GMT
यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में आए भूकंप के 105 झटके, जानें अब क्या करने वाला है NASA
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अमेरिका में स्थित दुनिया के सबसे खतरनाक ज्‍वालामुखी में शुमार यलोस्‍टोन (Yellowstone) में भूकंप के 105 झटके महसूस किए गए हैं। भूकंप के इन झटकों से विशेषज्ञों की टेंशन बढ़ गई है। भूकंप पर नजर रखने वाले ट्रैकर के मुताबिक यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी और नैशनल पार्क एरिया में मार्च महीने में कुल 105 भूकंप आए हैं। इनमें से तीन बार तो बड़े पैमाने पर पानी ज्‍वालामुखी से निकला है। विशेषज्ञों का कहना है कि यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में हो रही गतिविधियां मानकों के मुताबिक हैं लेकिन स्‍थानीय लोगों के अंदर खौफ बैठ गया है। उन्‍हें यह डर सता रहा है कि कभी भी ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट हो सकता है। इस बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस महाविनाशक ज्‍वालामुखी के विस्‍फोट से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है....

​यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी के पास क्‍यों आ रहे इतने ज्‍यादा भूकंप?
यूएसजीएस का अनुमान है कि यलोस्‍टोन में विस्‍फोट नहीं होने जा रहा है लेकिन इसके बाद भी इस इलाके में लगातार भूकंप आ रहे हैं। यलोस्‍टोन के पास हर साल करीब 3 हजार भूकंप आते हैं। इस साल मार्च महीना तो भूकंप से भरा रहा। कुल 105 झटके एक महीने में महसूस किए गए। यूएसजीएस ने बताया कि सबसे बड़ा झटका तीन मार्च को आया था और र‍िक्‍टर पैमाने पर इसकी तीव्रता 2.4 थी। वहीं हल्‍के झटके रिक्‍टर पैमाने पर -0.1 से 1.8 के बीच हैं। यही नहीं इस साल स्‍टीमबोट गेयसेर से इस साल 3 मार्च, 18 मार्च और 27 मार्च को बड़े पैमाने पर पानी निकला था। इस साल कुल 7 बार यलोस्‍टोन से पानी निकल चुका है। स्‍टीमबोट गेयसेर अमेरिका के नैशनल पार्क की पहचान हैं। यूएसजीएस के विशेषज्ञों का कहना है कि अभी कई हजार साल तक यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट नहीं होने जा रहा है। हालांकि उन्‍होंने यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में हाइड्रोथर्मल विस्‍फोट से इनकार नहीं किया है। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी के नीचे लाखों साल से दबाव बन रहा है। उन्‍होंने कहा कि अगर ज्‍वालामुखी के नीचे गर्मी बढ़ती रही तो ज्‍वालामुखी उबलना शुरू हो जाएगा और जमीन के अंदर चट्टानें पिघलना शुरू हो जाएंगी। इस बीच विस्‍फोट हो ही नहीं, इसके लिए नासा के वैज्ञानिकों ने इससे बचने की तैयारी शुरू कर दी है।
​यलोस्‍टोन से बचाने के लिए नासा ने बनाया महाप्‍लान
यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में महाविस्‍फोट को रोकने के लिए नासा के वैज्ञानिकों ने अपनी योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। नासा की योजना है कि अगर इस ज्‍वालामुखी में जब भी तापमान बढ़े उसे ठंडा कर दिया जाए। दरअसल, किसी भी ज्‍वालामुखी में व‍िस्‍फोट के लिए सबसे पहले वह गरम होता है। यह पृथ्‍वी के कोर में शुरू होता है और एक दिन यह महाविस्‍फोट में बदल जाता है। यह ज्‍वालामुखी हर साल 6 औद्योगिक पावर प्‍लांट के बराबर गर्मी पैदा करता है। इनमें से करीब 30 फीसदी गर्मी उसके अंदर रह जाती है। ऐसे में नासा के वैज्ञानिकों ने यलोस्‍टोन को ठंडा करने की योजना बनाई है। इसके तहत यलोस्‍टोन के आसपास कई कुएं खोदने का प्‍लान है। ये कुएं दुनिया में सबसे ज्‍यादा गहरे होंगे जो सतह से 10 किमी नीचे तक हो सकते हैं। वैज्ञानिकों की योजना है कि इन कुओं के जरिए ठंडा पानी अंदर डाला जाए ताकि मैग्‍मा के चेंबर के पास स्थित चट्टानों को ठंडा किया जा सके। यह कुछ उसी तरह से होगा जैसे कार को ठंडा करने के लिए पानी या कूलेंट डाला जाता है। इससे एक और फायदा यह होगा कि जो पानी अंदर डाला जाएगा वह 340 डिग्री सेल्सियस तक गरम हो जाएगा और इससे इलेक्ट्रिक जेनेरेटर चलाया जा सकेगा और बिजली का निर्माण किया जा सकेगा। इस पर कुल साढ़े तीन अरब डॉलर का खर्च आने का अनुमान है। यह नासा के कुल बजट का 20 फीसदी है।
​​6 लाख साल से सो रहा है यलोस्‍टोन, कभी भी हो सकता है विस्‍फोट
यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी में 21 लाख, 13 लाख और 6 लाख 40 हजार साल पहले तीन बार विस्‍फोट हो चुका है। ऐसे में लोगों को यह भी डर सता रहा है कि ज्‍वालामुखी में विस्‍फोट एक चक्र के तहत होता है और यह कभी भी सकता है। अमेरिकी सोशल मीडिया में कई लोग यह दावा कर रहे हैं कि यलोस्‍टोन ज्‍वालामुखी एक टाइम बम पर बैठा है और कभी भी दुनिया को आश्‍चर्य में डाल सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर यलोस्‍टोन में विस्‍फोट हुआ तो यह इंसान के इतिहास में सबसे भयानक तबाही ला सकता है। इस महाविस्‍फोट से इतनी ज्‍यादा मोटी राख से भरा बादल उठेगा कि पूरी पृथ्‍वी इससे ढंक जाएगी। यूएसजीएस के मुताबिक विस्‍फोट के बाद निकलने वाला लावा और अन्‍य मटिरियल कई किलोमीटर की गहराई में है। क्‍या यलोस्‍टोन में जल्‍दी विस्‍फोट होगा ? इस पर वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी संभावना कम है लेकिन ट्विटर पर अटकलों का बाजार गरम है और लोग तरह-तरह के सवाल उठा रहे हैं।
​यलोस्‍टोन फटा तो एवरेस्‍ट के बराबर उठेगी राख, 90 हजार की तत्‍काल मौत

नासा के वैज्ञानिकों का अनुमान है कि अगर यलोस्‍टोन में विस्‍फोट हुआ तो इससे धरती पर प्रलय आ जाएगी। एक झटके में 90 हजार लोगों की मौत हो जाएगी। वहीं आकाश में इतनी ज्‍यादा राख निकलेगी कि यह माउंट एवरेस्‍ट से भी ज्‍यादा ऊंची होगी। इससे कई दशक तक सूरज की रोशनी धरती पर नहीं आ पाएगी। इससे वैश्विक तापमान गिर जाएगा और पौधे मर जाएंगे। खेती खत्‍म हो जाएगी। संयुक्‍त राष्‍ट्र का अनुमान है कि पूरी दुनिया का खाना मात्र दो महीने में खत्‍म हो जाएगा। राख और गैस से पूरा वातावरण भर जाएगा और विमान उड़ान नहीं भर पाएंगे। ज्‍वालामुखी के फटने से बहुत बड़े पैमाने पर सल्‍फर डॉई ऑक्‍साइड वातावरण में पहुंच जाएगा। इससे सल्‍फर एरोसोल पैदो हो जाएगा और यह सूरज की रोशनी को परावर्तित कर देगा तथा उसे अपने अंदर निगल जाएगा।
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