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अन्य प्रमुख स्थानों की फोटो पोस्ट की और दिखाई की कोई भी सैन्य उथल पुथल नहीं है।
बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के तख्तापलट की अफवाहें भारत समेत दुनियाभर की मीडिया में खूब चर्चा में रही हैं। चीन में तख्तापलट के अफवाहों के शुरुआत की बात करें तो ये विदेश में मौजूद चीनी मीडिया की ओर से सबसे पहले सामने आई। विशेष रूप से फालुन गोंग समर्थित मीडिया ने दावा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तख्तापलट के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। इस अफवाह की जड़ झाओ लांजियन नाम के एक पत्रकार का ट्वीट था जो चीन से भाग कर अमेरिका में निर्वासन में हैं। उन्होंने ट्विटर पर अस्पष्ट कारणों से बड़े पैमाने पर चीन में फ्लाइट रद्द होने का बारे में निराधार दावे किए।
इस दावे को चीनी आध्यात्मिक आंदोलन फालुन गोंग समर्थित मीडिया नेटवर्क की ओर से उठाया गया था। चीन में एक अज्ञात सड़क पर यात्रा कर रहे एक सैन्य काफिले की क्लिप दिखा कर इस झूठई कहानी पर विश्वसनीयता की एक और परत चढ़ा दी गई। चीन में तख्तापलट की खबर को और मजबूती मिली जब उसमें कहा गया कि उज़्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन से लौटने के बाद शी जिनपिंग को किसी ने नहीं देखा है।
कोरोना के कारण रद्द हुई फ्लाइट
एक लेख और प्रकाशित किया गया जिसमें कहा गया कि शी जिनपिंग राष्ट्रीय रक्षा और सैन्य सुधार संगोष्ठी में मौजूद नहीं थे। इससे तख्तापलट की अफवाह को और हवा मिली। सैन्य काफिला और उड़ान रद्द होने के दावे को भारतीय ट्विटर हैंडल से खूब शेयर किया गया। द प्रिंट की खबर के मुताबिक फ्लाइट के रद्द होने के पीछे पूरे चीन में कई क्षेत्रों में कोविड-19 से जुड़े लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
क्यों पब्लिक से गायब रहे जिनपिंग
चीन में 23 सितंबर को हमेशा की तरह राजनीतिक गतिविधियां चलीं। किसी भी राजनीतिक उथल-पुथल के संकेत नहीं थे। चीन के मीडिया पर भी इसे प्रसारित किया गया। वहीं, जहां शी जिनपिंग के गायब होने की बात है तो उनकी व्यस्तता मानी जा सकती है। क्योंकि पब्लिक के बीच से जिनपिंग के गायब होने के कारण पहले भी कई तरह की अटकलें लगती रही हैं। अफवाहों को विराम देने के लिए बीजिंग में जर्मन अखबार डेर स्पीगल के रिपोर्टर जॉर्ज फाहरियन ने तियानमेन स्क्वॉयर और शहर के अन्य प्रमुख स्थानों की फोटो पोस्ट की और दिखाई की कोई भी सैन्य उथल पुथल नहीं है।
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