विश्व

यूरोपियन यूनियन से बढ़ते तनाव के बीच शी जिनपिंग ने किया जर्मनी को लुभाने की कोशिश

Kunti Dhruw
8 April 2021 1:47 PM GMT
यूरोपियन यूनियन से बढ़ते तनाव के बीच शी जिनपिंग ने किया जर्मनी को लुभाने की कोशिश
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चीन और पश्चिमी देशों के बीच हाल में तेजी से बढ़े तनाव

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: चीन और पश्चिमी देशों के बीच हाल में तेजी से बढ़े तनाव के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की फोन पर हुई बातचीत को बेहद अहम माना जा रहा है। कुछ महीने पहले तक ऐसे संकेत थे कि यूरोपीय देश अमेरिकी सोच से खुद को अलग रखते हुए चीन से कारोबारी संबंध बना रहे हैं। लेकिन पिछले एक महीने में अमेरिका अपनी चीन विरोधी गोलबंदी में यूरोपियन यूनियन (ईयू) के देशों और ब्रिटेन को लामबंद करने में काफी हद तक सफल रहा है। इसीलिए इस माहौल में ईयू के सबसे बड़े देश की नेता की चीनी राष्ट्रपति से हुई सीधी बातचीत को जानकार खासा तव्वजो दे रहे हैं।

चीन के सरकारी टीवी नेटवर्क सीसीटीवी के मुताबिक शी ने मर्केल से कहा कि ईयू को चीन के बारे में रुख तय करते वक्त 'स्वतंत्र रूप से सही निर्णय' लेना चाहिए। उन्होंने कहा- अभी चीन-ईयू संबंधों में नए अवसर हैं, लेकिन अलग-अलग तरह की चुनौतियां भी हैं। शी ने कहा कि चीन का विकास ईयू के लिए एक अवसर है। इसके बाद उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद है कि ईयू स्वतंत्र रूप से सही निर्णय लेगा और वास्तविक अर्थ में रणनीतिक स्वायत्तता हासिल करेगा।' शी की इस टिप्पणी से पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ये साफ किया था कि चीन और रूस का उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के खिलाफ सैनिक गठजोड़ बनाने का कोई इरादा नहीं है। एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा कि रूस और चीन के संबंध अपने सर्वोत्तम दौर में पहुंच गए हैं। लेकिन ये संबंध सैनिक गठबंधन बनाने की तरफ नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि हाल में चीन और रूस के मिल कर पश्चिम एशिया नाटो या एशियाई नाटो बनाने की चर्चा रही है। लेकिन ऐसी चर्चाएं बेबुनियाद है।
माना जा रहा है कि रूस की इस सफाई से यूरोपीय देशों को तसल्ली होगी। हाल में रूस और चीन दोनों की कोशिश रही है कि यूरोपीय देशों को अमेरिकी खेमे अलग रुख लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसमें उन्हें सबसे अनुकूल रुख जर्मनी का लगा है। जर्मनी अमेरिकी विरोध के बावजूद रूस के साथ गैस पाइपलाइन परियोजना को आगे बढ़ा रहा है। उधर ये धारणा बनी है कि जर्मनी, खास कर एंजेला मर्केल का रूस और चीन के प्रति रुख अपेक्षाकृत नरम है। बुधवार को ये खबर भी आई कि जर्मनी के राज्य बावारिया ने कोरोना वायरस की रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-वी के 25 लाख डोज खरीदने के लिए शुरुआती करार कर लिया है। गौरतलब है कि रूसी वैक्सीन की खरीद के मामले में अभी ईयू ने कोई फैसला नहीं किया है। हालांकि बावारिया ने स्पष्ट किया है कि वह ये खरीद ईयू की दवा संबंधी एजेंसी से स्पुतनिक को हरी झंडी मिलने के बाद ही करेगा। इसी बीच शी जिनपिंग ने मर्केल से बात की। इसमें उन्होंने कहा कि चीन में जर्मन कंपनियों को कारोबार करने की इजाजत देने के मामले में उनकी सरकार ने अपना दिमाग खुला रखा है। उन्होंने मर्केल से कहा कि वे सुनिश्चित करें कि जर्मनी चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध नहीं लगाएगा। शी ने ध्यान दिलाया कि लगातार पांच साल से चीन जर्मनी का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार बना हुआ है।
मर्केल ने इस बारे में क्या कहा, इसका जिक्र चीनी बयान में ज्यादा विस्तार से नहीं किया गया। सिर्फ यह बताया गया कि मर्केल ने वैश्विक चुनौतियों का मुकाबला करने में चीन के साथ मिल कर काम करने का इरादा जताया। जर्मनी ने बातचीत के तुरंत बाद कोई वक्तव्य जारी नहीं किया। लेकिन विश्लेषकों ने ध्यान दिलाया है कि चीनी बयान में हाल में शिनजियांग के चार अधिकारियों पर ईयू के लगाए प्रतिबंधों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। ना ही इसमें पिछले साल ईयू के साथ हुए चीन के व्यापक निवेश समझौते का जिक्र हुआ। इसे इस बात का संकेत समझा गया है कि दोनों नेताओं की बातचीत संभवतः पूरी तरह चीन की इच्छा के मुताबिक नहीं रही।
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