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कभी गुफा में ईंटों के बिस्तर पर सोते थे शी जिनपिंग, जानिए चीन के राष्ट्रपति की जिंदगी की कुछ दिलचस्प बातें
Renuka Sahu
16 Jun 2022 6:57 AM GMT
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फाइल फोटो
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बुधवार को अपना 69वां जन्मदिन मनाया.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (XI Jinping) ने बुधवार को अपना 69वां जन्मदिन मनाया. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के 69 साल पूरे होने के बाद भी अभी उनके रिटायर (Retirement) होने के कोई संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं. माना जा रहा है कि जिनपिंग पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों द्वारा 68 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने के नियम को दरकिनार करते हुए तीसरे कार्यकाल के लिए पद पर बने रहेंगे. आइए जानते है शी जिनपिंग की जिंदगी की कुछ दिलचस्प बातें.
अपने जन्मदिन के मौके पर जिनपिंग ने अपने मित्र एवं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की. परंपरा के मुताबिक, चीन में नेता आमतौर पर सावर्जनिक तौर पर जन्मदिन का उत्सव नहीं मनाते, लेकिन जिनपिंग के लिए यह साल बेहद अहम है, क्योंकि इस साल वह अपने नेतृत्व के 10 साल पूरे करने जा रहे हैं. हालांकि, इस उम्र के बाद उनके सभी पूर्ववर्ती सेवानिवृत्त हो गए थे.
शी जिनपिंग का बचपन गरीबी में बीता है. वो खेतों में मेहनत कर सत्ता के शिखर पर पहुंचे हों. 15 बरस के लड़के शी जिनपिंग ने देहात में मुश्किल भरी जिंदगी की शुरुआत की थी. चीन के अंदरूनी इलाके में जहां चारों तरफ पीली खाइयां थीं, ऊंचे पहाड़ थे, वहां से जिनपिंग की जिंदगी की जंग शुरू हुई थी. येनान के जिस इलाके में जिनपिंग ने खेती-किसानी की शुरुआत की थी, वो गृह युद्ध के दौरान चीन के कम्युनिस्टों का गढ़ था.
येनान के लोग अपने इलाके को चीन की लाल क्रांति की पवित्र भूमि कहते थे. शी जिनपिंग की अपनी कहानी को काफी हद तक काट-छांटकर पेश किया जाता है. दिलचस्प बात ये है कि जहां चीन के तमाम अंदरूनी इलाकों का तेजी से शहरीकरण हो रहा है, वहीं राष्ट्रपति शी के गांव को जस का तस रखा गया है. कम्युनिस्ट पार्टी के भक्तों के लिए वो एक तीर्थस्थल है.
साठ के दशक में चीन के गांवों की ज़िंदगी बहुत कठिन थी. बिजली नहीं हुआ करती थी. गांवों तक जाने का रास्ता भी पक्का नहीं होता था. खेती के लिए मशीनें भी नहीं थीं. उस दौर में शी ने खाद ढोने, बांध बनाने और सड़कों की मरम्मत का काम सीखा था. वो जिस गुफा में रहते थे, वहां कीड़े-मकोड़ों का डेरा होता था. शी का कहना है कि आज वो जो कुछ भी हैं, वो उसी दौर की वजह से हैं. उनका किरदार उसी गुफा वाले दौर ने गढ़ा.
उस में वो ईंटों वाले बिस्तर पर तीन और लोगों के साथ सोया करते थे. उस वक्त खाने के लिए उन्हें दलिया, बन और कुछ सब्ज़ियां मिला करते थे. उनके एक किसान साथी लू होउशेंग ने बताया था कि भूख लगने पर ये कोई नहीं देखता था कि खाने में मिल क्या रहा है. रात में शी जिनपिंग अपनी गुफा में ढिबरी की रौशनी में पढ़ा करते थे. उन्हें पढ़ने का शौक था.
60 के दशक में माओ ने अपनी पार्टी के नेताओं पर कई तरह के जुल्म किए. शी जिनपिंग को भी तकलीफें उठानी पड़ी. शी के पिता को कम्युनिस्ट पार्टी से बाहर कर दिया गया. फिर उन्हें जेल में डाल दिया गया. इससे पूरे परिवार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी. इस दौरान उनकी एक बहन की मौत हो गई. माओ का कहर ऐसा बरपा कि जिनपिंग का परिवार टूटकर बिखर गया, मगर जिनपिंग ने हार नहीं मानी. हिम्मत नहीं टूटने दी.
बीजिंग के सारे स्कूल बंद कर दिए गए थे. इसलिए जिनपिंग की पढ़ाई भी बंद हो गई थी. जिनपिंग काफी दिनों तक माओ के रेड गार्ड्स से बचने के लिए छिपते रहे. इन हालातों में वह अंदर से बहुत मजबूत बन चुके थे. जिनपिंग उन दिनों को याद करते हुए कई इवेंट्स में कह चुके हैं कि एक बार मरने और बार-बार मारे जाने में कोई फर्क नहीं.
18 की उम्र में जिनपिंग अपनी सियासी करियर बनाने के लिए तैयार थे. वो कम्युनिस्ट यूथ लीग में शामिल हुए. 21 साल की उम्र तक बार-बार ठुकराए जाने के बाद भी वो कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने रहे. शुरुआत से ही वह जमीनी हकीकत से वाकिफ थे, लिहाजा उनका फोकस हमेशा अपने टारगेट पर रहता था.
कम्युनिस्ट क्रांति के बाद तो शी जिनपिंग कट्टर कम्युनिस्ट बन गए. धीरे-धीरे परिवार की हालत सुधरने लगी. साल 2012 में जिनपिंग कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बने. जल्द ही राष्ट्रपति के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में जिनपिंग ने एक महान लीडर का किरदार गढ़ा. जिनपिंग के जादू की साल 2013 से जो शुरुआत हुई, वो आज तक जारी है.
जिनपिंग आज ऐसे चीन की अगुवाई कर रहे हैं, जो तेजी से सुपरपावर बनने की दिशा में जा रहा है.जिनपिंग को तोहफे में आइसक्रीम बहुत पसंद हैं. उन्हें कई मौकों पर आइसक्रीम खाते देखा गया है.
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