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बीजिंग (आईएएनएस)| 19 मई को पश्चिमोत्तर चीन के शैनशी प्रांत की राजधानी शीआन में चीन-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग, कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट टोकायव, किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सदर नगोर्जोविच जापारोव, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान, तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति सरदार बर्दिमुहामेदोव, और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिरोमोनोविच मिर्जय़ोयेव ने भाग लिया। चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की और भाषण दिया।
शी चिनफिंग ने कहा कि साल 2013 में उन्होंने चीनी राष्ट्रपति का पद ग्रहण करने के बाद पहली बार मध्य एशिया का दौरा किया और सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट के सह-निर्माण वाली पहल प्रस्तुत की। इसके बाद पिछले 10 सालों में चीन और मध्य एशियाई देशों ने हाथ मिलाकर रेशम मार्ग के समग्र पुनरोद्धार को बढ़ावा दिया, भविष्य के उन्मुख गहन सहयोग किया, और द्विपक्षीय संबंधों को नए युग में पहुंचाया।
उन्होंने कहा कि मध्य एशिया यूरेशियन महाद्वीप का केंद्र है, जो पूर्व व पश्चिम, और उत्तर व दक्षिण को जोड़ने वाले चौराहे पर स्थित है। दुनिया को एक स्थिरता, समृद्धि, सामंजस्य और कनेक्टिविटी वाले मध्य एशिया की जरूरत है। चीन-मध्य एशिया साझा भाग्य वाले समुदाय के निर्माण के लिए चार बातों पर अडिग रहना चाहिए। यानी कि एक दूसरे के समर्थन पर अडिग रहना, सामान्य विकास पर अडिग रहना, आम सुरक्षा पर अडिग रहना और पीढ़ी-दर-पीढ़ी मैत्री पर अडिग रहना।
शी चिनफिंग ने यह भी कहा कि मौजूदा शिखर सम्मेलन ने चीन और एशियाई देशों के बीच सहयोग के लिए नया मंच स्थापित किया और नई संभावनाओं को खोला। चीन इस शिखर सम्मेलन के आयोजन से लाभ उठाकर विभिन्न पक्षों के साथ घनिष्ठ समन्वय करना चाहता है, ताकि चीन-मध्य एशिया सहयोग की अच्छी तरह से योजना बनाने, निर्माण करने और विकसित करने में मदद मिल सके। इसके लिए छह देशों को तंत्र निर्माण को मजबूत करना, आर्थिक व्यापारिक संबंध का विस्तार करना, कनेक्टिविटी को गहराना, ऊर्जा सहयोग को विस्तृत करना, हरित नवाचार को बढ़ावा देना, विकास क्षमता को उन्नत करना, सभ्यताओं के बीच संवाद को मजबूत करना, और क्षेत्रीय शांति बनाए रखना चाहिए।
अपने भाषण के अंत में शी चिनफिंग ने आह्वान किया कि छह देश कंधे से कंधा मिलाकर एकता और प्रयास करेंगे, सक्रिय रूप से सामान्य विकास और समान समृद्धि को बढ़ावा देंगे, ताकि छह देश और उज्जवल भविष्य का स्वागत कर सकें।
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