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बलूचिस्‍तान में बरपाया कहर! पाकिस्‍तानी सेना ने 48 लोगों को मार गिराया

Neha Dani
11 Aug 2022 9:07 AM GMT
बलूचिस्‍तान में बरपाया कहर! पाकिस्‍तानी सेना ने 48 लोगों को मार गिराया
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इनमें से पंद्रह लोगों को बाद में छोड़ दिया गया, जबकि पैंतीस लोगों का कोई अता-पता नहीं है।

पाकिस्‍तान के बलूचिस्‍तान प्रांत में पाक अर्धसैनिक बलों के अत्‍याचार के मामले सामने आए हैं। बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तानी सेना ने यहां 48 लोगों को मार गिराया है। इनमें से 11 लोगों को गैरकानूनी तरीके से मौत की सजा दी गई है। बलूचिस्‍तान के मानवाधिकार आयोग ने इस पर सवाल खड़ा किया है।


आयोग ने कहा कि ये आंकड़े जुलाई महीने के हैं। इस दौरान 45 लोगों के अचानक लापता होने के भी मामले सामने आए हैं।


बलूचिस्‍तान मानवाधिकार आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है, ''बलूचिस्‍तान में लोगों की इस तरह से हो रही हत्‍याएं और उनका अचानक से गायब हो जाना कानून का सरासर उल्‍लंघन है। इससे हजारों की तादात में नागरिक प्रभावित हो रहे हैं। ये अपराध बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी सुरक्षा बलों और उनके संबद्ध मिलिशिया द्वारा किए जा रहे हैं जिन्हें स्थानीय रूप से मौत के दस्ते के रूप में जाना जाता है।''


पाकिस्‍तानी सेना का बलूचिस्‍तान में दमन चक्र जारी है और इसका कारण यहां रह रहे लोगों में बड़े पैमाने पर डर पैदा करना है इसलिए पूर्व नियोजित रणनीतियों के माध्‍यम से इन वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है।

जुलाई के महीने में अचानक गायब हुए लोगों के परिजनों ने पूरे बलूचिस्‍तान भर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के द्वारा फर्जी मुठभेड़ में 11 लोगों को मार गिराए जाने की घटना पर भी इनका जबरदस्‍त आक्रोश देखने को मिला। लोगों ने पाकिस्‍तान की सेना को इस दौरान बलूचिस्‍तान लिबरेशन आर्मी का आतंकवादी कहकर बुलाया।

बलूच मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, पाकिस्तान के सशस्त्र बलों की मीडिया शाखा इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस ने दावा किया है कि लेफ्टिनेंट कर्नल लाइक बेग मिर्जा का अपहरण और उनकी हत्‍या में वे शामिल रहे हैं।

आयोग ने कहा, ''हालांकि इस आरोप को साबित करने के लिए हमारे पास इस वक्‍त कोई सबूत नहीं है। बीते दिनों यहां डॉक्टरों और वॉयस फॉर बलूच मिसिंग पर्सन्स (वीबीएमपी) की मदद से पहले गायब हुए लोगों में से सात की पहचान उनके परिवारवालों ने कर ली है। पीड़ितों की पहचान शम्स सतकजई, सलीम करीम, डॉ मुख्तार, शहजाद खुदा बख्श, शाह बख्श मारी, जुम्मा खान और मुहम्मद खान के रूप में हुई है।''

इसके बाद पीड़ितों के परिवारों ने सड़कों पर उतरकर जमकर विरोध जताया। उन्‍होंने इस पर कानूनी जांच की मांग की और इस बात का आश्वासन मांगा उनके यहां से लापता हो रहे लोगों को बिना किसी गुनाह के गैर कानूनी ढंग से न मारा जाए और अब तक जो लापता हैं उनके ठिकाने के बारे में जानकारी दी जाए।

लेकिन जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने प्रदर्शन कर रही महिलाओं और बच्चों पर लाठियां बरसाईं और आंसू गैस के गोले छोड़े। पीडि़तों के परिजन पिछले 19 दिनों से बलूचिस्तान के गवर्नर और मुख्यमंत्री आवास के सामने धरने पर बैठे हैं, लेकिन उनकी मांगों को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।


मालूम हो कि जुलाई में पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने दस छात्रों सहित 45 लोगों का जबरन अपहरण कर लिया । इनमें से पंद्रह लोगों को बाद में छोड़ दिया गया, जबकि पैंतीस लोगों का कोई अता-पता नहीं है।

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