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जलवायु परिवर्तन से आने वाली आपदाओं के बाद देशों के पुनर्निर्माण के लिए जलवायु मुआवजा देना चाहिए।
दुनियाभर में हर साल 15 लाख लोगों की समय से पूर्व मृत्यु होने की वजह महीन प्रदूषण कण (पीएम 2.5) हो सकते हैं। एक अध्ययन में पाया गया है कि वायु प्रदूषण का कम स्तर सोच से कहीं अधिक खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के हाल के आकलन के अनुसार, हर साल वायु प्रदूषण के बारीक कणों से लंबे समय तक संपर्क में रहने के कारण 42 लाख से अधिक लोगों की समय से पहले मृत्यु हो जाती है।
पत्रिका 'साइंस एडवांसेज' में प्रकाशित अध्ययन से संकेत मिलता है कि प्रदूषण के इन महीन कणों के संपर्क में आने से दुनियाभर में हर साल होने वाली मौत अनुमान से कहीं अधिक हो सकती है। केवल सूक्ष्मदर्शी से देखे जा सकने वाले ये कण हृदय तथा श्वसन संबंधी बीमारियों और कैंसर की वजह हो सकते हैं। कनाडा में मैकगिल विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर तथा मुख्य अनुसंधानकर्ता स्कॉट विचेंथल ने कहा, 'हमने पाया कि बाहरी पीएम2.5 हर साल दुनियाभर में 15 लाख अतिरिक्त मौत के लिए जिम्मेदार हो सकता है।'
प्रदूषण के लिए भारत से मांगा गया मुआवजा
मिस्र के शर्म अल-शेख में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन COP27 के दौरान भारत और चीन से मुआवजे की मांग की गई है। द्वीपीय देश एंटीगुआ और बारबुडा के प्रधानमंत्री गैस्टन ब्राउन ने कहा कि बड़े पैमाने पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार अर्थव्यवस्थाएं, जिनमें चीन और भारत भी शामिल है, को जलवायु परिवर्तन से आने वाली आपदाओं के बाद देशों के पुनर्निर्माण के लिए जलवायु मुआवजा देना चाहिए।
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Neha Dani
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