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जब दुनियाभर में कोरोना की उत्पत्ति की जांच को लेकर मांग बढ़ी है और वुहान लैब को संशय के नजरिये से देखा जा रहा है।
ब्रिटेन के कार्बिस बे में दुनिया के सबसे अमीर जी-7 देशों की शिखर वार्ता शुरू हो गई है। वार्ता के पहले दिन की शुरुआत से पहले ही ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने उम्मीद जताई कि जी-7 देश विश्व के गरीब देशों को एक अरब डोज देने को तैयार हो जाएंगे, ताकि टीकाकरण मुहिम तेज हो सके।
वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने 50 करोड़ खुराकें गरीब देशों में दान करने की प्रतिबद्धता जताई। जी-7 में अमेरिका-ब्रिटेन के अलावा कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान भी शामिल हैं।
सम्मेलन से पूर्व ब्रिटेन के पीएम ने कहा, जी-7 को संकल्प लेना चाहिए कि वे 2022 के अंत तक दुनिया की पूरी आबादी को वैक्सीन देने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, हम अपने मित्र देशों के साथ मिलकर इस महामारी को हराना चाहते हैं। हम इसके लिए संकल्पबद्ध हैं और अगले कुछ हफ्तों में ही ब्रिटेन गरीब देशों को करीब 50 लाख खुराकें देगा। मैं सभी देशों से कहूंगा कि इसमें सहयोग करें।
बता दें, विश्व में टीकों की असमान आपूर्ति के मद्देनजर जी-7 नेताओं पर इस संबंध में दबाव बढ़ता जा रहा है। जॉनसन से पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी टीका दान पर यूरोपीय देशों को कुछ करने की सलाह दी थी।
यह मदद समुद्र में पानी की बूंद की तरह
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का पूर्वानुमान है कि अमेरिका के 50 करोड़ टीका खुराक देने और जी-7 द्वारा ऐसा समर्थन मिलने के बाद विश्व टीका अभियान सुपरचार्ज हो जाएगा। बाइडन ने कहा, हम किसी शर्त नही, बल्कि जिंदगियां बचाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि कुछ सामाजिक संगठनों ने इस मदद को समंदर में पानी की एक बूँद की तरह बताया है।
वैज्ञानिकों की राय है कि दुनिया में यदि टीकाकरण अभियान एक साथ तेज नहीं किया गया, तो वायरस के नए और भयंकर स्वरूप में म्यूटेंट का खतरा बना रहेगा। इसे संभवत: मौजूदा टीकों से रोक पाना मुश्किल होगा।
बाइडन : 8 दिन, 4 देश व 3 शिखर वार्ताएं
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का पहला विदेशी दौरा खासा व्यस्त रहेगा। इसकी शुरुआत ब्रिटेन के कार्बिस बे में जी-7 शिखर वार्ता से हो गई है, जहां से वह बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स जाकर नाटो व यूरोपीय संघ के नेताओं से बात करेंगे। दौरा खत्म होगा जिनेवा में, जहां बाइडन की मुलाकात रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से होनी है। इस बीच वे जर्मन चांसलर एंगेला मैर्केल और महारानी एलिजाबेथ से भी मिलेंगे।
कोरोना उत्पत्ति की जांच का ब्रिटेन-अमेरिका ने किया समर्थन
अमेरिकी राष्ट्रपति और ब्रिटिश पीएम ने एक साझा बयान में कहा, हम कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चीन में चल रहे डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अगले चरण का समर्थन करेंगे और समयबद्ध, पारदर्शी और साक्ष्य-आधारित स्वतंत्र प्रक्रिया की आशा करते हैं। दोनों नेताओं का यह बयान ऐसे समय पर काफी अहम है, जब दुनियाभर में कोरोना की उत्पत्ति की जांच को लेकर मांग बढ़ी है और वुहान लैब को संशय के नजरिये से देखा जा रहा है।
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