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दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिपमेकर ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का प्रॉफिट 80 प्रतिशत बढ़ा

Admin Delhi 1
15 Oct 2022 1:46 PM GMT
दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिपमेकर ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी का प्रॉफिट 80 प्रतिशत बढ़ा
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वर्ल्ड बिज़नेस न्यूज़: सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के हब ताइवान की सुरक्षा को चीन से खतरा बढ़ रहा है। इसके बावजूद ताइवान की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री तेजी से आगे बढ़ रही है। दुनिया की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट चिपमेकर ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC) का तीसरी तिमाही में प्रॉफिट वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 80 प्रतिशत बढ़ा है। यह दो वर्षों में कंपनी की सबसे अधिक ग्रोथ है। अमेरिकी स्मार्टफोन मेकर Apple की बड़ी सप्लायर TSMC के मजबूत तिमाही परिणाम से इसके शेयर में भी शुक्रवार को 4 प्रतिशत से अधिक की तेजी आई। हालांकि, TSMC ने आगामी महीनों में डिमांड को लेकर सतर्कता से अनुमान दिया है। कंपनी ने इस वर्ष के लिए अपने खर्च में भी न्यूनतम 10 प्रतिशत की कमी करने की योजना बनाई है। एशिया की इस सबसे अधिक वैल्यू वाली लिस्टेड कंपनी ने बताया कि वह अगले वर्ष अधिक इनवेस्टमेंट नहीं करेगी। Daiwa Capital Markets के एनालिस्ट्स का कहना है कि इनवेस्टर्स को TSMC के शेयर के कम प्राइस का फायदा उठाना चाहिए। इस वर्ष कंपनी के शेयर में 30 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई है। ताइवान का कहना है कि अगर वह सुरक्षित रहेगा तभी सेमीकंडक्टर्स की सप्लाई भी बरकरार रहेगी। अमेरिका के दौरे पर गई ताइवान की इकोनॉमिक अफेयर्स मिनिस्टर Wang Mei Hua ने कहा कि अगर ताइवान सुरक्षित रहता है, तभी सेमीकंडक्टर्स की ग्लोबल सप्लाई की भी सुरक्षा हो सकेगी।

पिछले कुछ महीनों ने चीन ने ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ाया है। ताइवान को अमेरिका का समर्थन मिल रहा है। अमेरिका ने उसे हथियारों की सप्लाई भी दी है। Wang ने कहा कि ताइवान सप्लाई चेन को बरकरार रखने के लिए अमेरिका के साथ आपसी सहयोग बढ़ाना चाहता है। उनका कहना था कि एडवांस्ड टेक्नोलॉजी में ताइवान की महत्वपूर्ण भूमिका है। अगर चीन की ओर से ताइवान में हस्तक्षेप किया जाता है तो इसका असर चीन पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर TSMC पर सैन्य ताकत से कब्जा किया जाता है तो वह अपना कामकाज रोक देगी। अमेरिका के विदेश मंत्री Antony Blinken ने कहा है कि अगर ताइवान को नुकसान होता है तो उसका ग्लोबल इकोनॉमी पर बहुत बुरा असर होगा। चीन और ताइवान के बीच कई वर्षों से विवाद है। चीन की कंपनियों की ताइवान से सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के टैलेंट और टेक्नोलॉजी को गलत तरीके से हासिल करने की कोशिशें से भी ताइवान नाराज है।

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