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कोरोना से जूझ रही दुनिया बेहद बुरे दौर में पहुंच सकती है।
यूक्रेन में रूसी सेना की घुसपैठ के बाद दुनिया में खौफ का माहौल है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने कड़े तेवर दिखाते हुए रूस के खिलाफ नए प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के दो इलाकों का मान्यता देना रूसी सेना का अपने पड़ोसी देश में आक्रमण करने की शुरुआत है। इस बीच यूक्रेन ने भी अपने रिजर्व सैनिकों को बुलाने का ऐलान किया है। यूक्रेन संकट से अब अस्थिरता का माहौल बढ़ता जा रहा है। आइए समझते हैं विश्वभर में मची दहशत के पीछे क्या कारण हैं....
यूक्रेन में रूसी घुसपैठ से तेल के दाम में लगी आग
यूक्रेन संकट से अब दुनिया खासतौर पर यूक्रेन को ठंड में गर्मी पैदा करने के लिए गैस की दिक्कत और दाम में बढ़ोत्तरी का खतरा मंडराने लगा है। यूरोप को 40 फीसदी गैस और 25 फीसदी तेल की आपूर्ति रूस करता है। यही वजह है कि रूसी सेना के यूक्रेन में घुसपैठ के बाद तेल की कीमतें साल 2014 के बाद सबसे ज्यादा स्तर तक पहुंच गईं। वह भी तब जब रूसी राष्ट्रपति ने वादा किया है कि तेल की आपूर्ति जारी रहेगी।
खाद्यान की कीमतों में भारी वृद्धि
यूक्रेन में रूस के बढ़ते हस्तक्षेप से अब दुनिया को खाने की चिंता भी सताने लगी है। रूस दुनिया का सबसे गेहूं सप्लाई करने वाला देश है। यह दुनिया में होने वाले कुल निर्यात का करीब 25 प्रतिशत है। मिस्र, तुर्की (50 फीसदी महंगाई से जूझ रहा), पश्चिमी एशिया और अफ्रीकी देश रूस से निर्यात किए जाने वाले गेहूं पर बुरी तरह से निर्भर हैं। अमेरिकी प्रतिबंधों का दायरा बढ़ता है तो रूस का निर्यात प्रभावित हो सकता है, इससे लोग परेशान हो सकते हैं। अमेरिका ने तो कई रूसी बैंकों पर प्रतिबंध लगा भी दिए हैं।
निवेशक बना सकते हैं बाजार से दूरी
यूक्रेन को लेकर दुनिया में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है, तेल के दाम बढ़ रहे हैं और महंगाई के बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि इससे दुनिया में निवेश का माहौल खराब हो सकता है। इससे दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में निवेश कम हो सकता है और विकासदर गिर सकती है। यूक्रेन को लेकर अगर रूस की पश्चिमी देशों से जंग छिड़ती है तो कोरोना से जूझ रही दुनिया बेहद बुरे दौर में पहुंच सकती है।
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