नई दिल्ली । येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर दी मान्यता वापस लेने के आस्ट्रेलिया के फैसले ने सभी को चौंका दिया है। वर्ष 2018 में आस्ट्रेलियाई पीएम स्काट मारिसन ने येरूशलम को ये मान्यता दी थी। उस वक्त इस फैसले ने आस्ट्रेलिया की मध्य एशिया नीति को बदल दिया था। अब भी ऐसा ही कुछ हुआ है। आस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वांग का कहना है कि आस्ट्रेलिया फलस्तीन-इजरायल के मुद्दे पर टू नेशन थ्योरी में विश्वास करता है।
आस्ट्रेलिया चाहता है कि दोनों ही देश आपसी मुद्दों को शांति और सूझबूझ के साथ सुलझाएं, जिससे दोनों ही देशों के बीच विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा किया जा सके। आस्ट्रेलिया चाहता है कि सीमा विवाद को सुलझाने के बाद इन्हें विश्व स्तर पर मान्यता भी मिले। इसके लिए दोनों को आपस में बातचीत करनी चाहिए।
लंबे समय से है दोनों में विवाद
आपको बता दें कि इजरायल और फलस्तीन के बीच येरूशलम विवाद काफी समय से जारी है। 1980 में जब इजरायल की संसद Knesset ने येरूशलम ला पास कर इसको इजरायल की राजधानी घोषित किया था, तब से ये विवाद लगातार गहराता चला गया है। हालांकि, अरब देश हमेशा से ही इसके विरोधी रहे हैं। अरब देश इजरायल के अस्तित्व को भी नकारते रहे हैं।