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यही वजह है कि देशों को हमारा सहयोग अधिक सतत, सुरक्षित और भरोसेमंद भविष्य के निर्माण के साथ-साथ जलवायु तथा विकास के मुद्दों पर एक साथ काम करने पर केंद्रित है।
जलवायु परिवर्तन के कारण चरम मौसमी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। एक नई रिपोर्ट में आशंका जाहिर की गई है कि 2030 के बाद यह खतरे इतने ज्यादा बढ़ जाएंगे कि लोगों को बड़ी संख्या में अपना घर-बार छोड़कर दूसरे स्थानों की ओर पलायन करना पडेगा। क्योंकि चरम मौसमी घटनाएं कई स्थानों पर तबाही ला सकती हैं जिससे वह स्थान इंसानों के रहने लायक नहीं रह जाएंगे। रिपोर्ट में 2030-2050 के बीच 21.60 करोड़ लोगों को अपने मूल स्थानों से विस्थापित होने की आशंका जाहिर की गई है।
विश्व बैंक की एक ताजा रिपोर्ट ग्राउंड्सवेल के अनुसार जलवायु परिवर्तन दुनिया भर में विस्थापन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। इसका सर्वाधिक दुष्प्रभाव उप सहारा अफ्रीका पर पड़ेगा जहां सबसे ज्यादा 8.6 करोड़ लोग विस्थापन की मार झेलने के लिए विवश होंगे। दूसरा सर्वाधिक प्रभावित होने वाला क्षेत्र पूर्वी एशिया होगा जहां 4.9 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। तीसरे नंबर पर दक्षिण एशिया के प्रभावित होने की आशंका है जिसमें भारत भी आता है जहां चार करोड़ लोग विस्थापित होंगे। इस प्रकार एशिया में 8.9 करोड़ लोग विस्थापित होंगे। इसके अलावा उत्तरी अमेरिका में 1.9 करोड़, लैटिन अमेरिका में 1.7 करोड़ पूर्वी यूरोप तथा मध्य एशिया में 50 लाख लोगों के आंतरिक रूप से पलायन की आशंका है।
पलायन को 80 फीसदी तक कम किया जा सकता है
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि वैश्विक स्तर पर विनाशकारी गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के प्रयास सफल रहते हैं तो फिर इस पलायन को 80 फीसदी तक कम किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए पेरिस समझौते पर अमल करते हुए तापमान बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री पर सीमित करने का लक्ष्य हासिल करना होगा।
इस रिपोर्ट को खतरे की घंटी बताया
विश्व बैंक के सस्टेनेबल डेवलपमेंट विभाग के उपाध्यक्ष यरगन वोगल ने कहा कि यह रिपोर्ट इंसानों के जलवायु परिवर्तन की भेंट चढ़ने के बारे में खतरे की घंटी है। खासतौर पर दुनिया के उन गरीब देशों के लिए जिनका जलवायु को खराब करने में सबसे कम योगदान है।
ये सभी मसले बुनियादी तौर पर एक दूसरे से जुड़े हैं
यह रिपोर्ट दुनिया के तमाम देशों के लिए उन महत्वपूर्ण कारणों को समाप्त करने का रास्ता भी स्पष्ट रूप से समझाती है जिनकी वजह से जलवायु संकटजनित विस्थापन या पलायन हो रहा है। ये सभी मसले बुनियादी तौर पर एक दूसरे से जुड़े हैं। यही वजह है कि देशों को हमारा सहयोग अधिक सतत, सुरक्षित और भरोसेमंद भविष्य के निर्माण के साथ-साथ जलवायु तथा विकास के मुद्दों पर एक साथ काम करने पर केंद्रित है।
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