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इस्लामिक स्टेट को रोकने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम नहीं करेंगे: तालिबान

Neha Dani
10 Oct 2021 7:40 AM GMT
इस्लामिक स्टेट को रोकने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम नहीं करेंगे: तालिबान
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तालिबान में सत्ता में आया. अमेरिका ने साफ कर दिया है कि यह बातचीत मान्यता की ओर संकेत नहीं है.

तालिबान के वरिष्ठ अधिकारी और अमेरिकी प्रतिनिधि कतर की राजधानी दोहा में मिलने वाले हैं. आईएस नेअफगानिस्तान में कई हमलों की जिम्मेदारी ली है. आईएस को अमेरिका के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में भी देखा जाता है.

इस्लामाबाद: तालिबान ने शनिवार को अफगानिस्तान में चरमपंथी समूहों को रोकने के लिए अमेरिका के साथ सहयोग करने से खारिज कर दिया. अगस्त में अमेरिका के देश से जाने के बाद पूर्व दुश्मनों के बीच पहली सीधी बातचीत से पहले एक प्रमुख मुद्दे पर तालिबान ने एक अडिग रुख अपनाया है.
तालिबान के वरिष्ठ अधिकारी और अमेरिकी प्रतिनिधि कतर की राजधानी दोहा में शनिवार और रविवार को मिलने वाले हैं. दोनों पक्षों के अधिकारियों ने कहा है कि मुद्दों में चरमपंथी समूहों पर लगाम लगाना और विदेशी नागरिकों और अफगानों को देश से निकालना शामिल है.
तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि अफगानिस्तान में तेजी से सक्रिय इस्लामिक स्टेट समूह से लड़ाई के लिए अमेरिका के साथ कोई सहयोग नहीं होगा.
आईएस ने कई हमलों की जिम्मेदारी ली है, जिसमें एकक मस्जिद में नमाज अदा किए जाने के दौरान एक आत्मघाती बम विस्फोट शामिल है, जिसमें 46 अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हो गए.
2014 में पूर्वी अफगानिस्तान में उभरने के बाद से आईएस ने देश के शिया मुसलमानों पर लगातार हमले किए हैं. आईएस को अमेरिका के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में भी देखा जाता है.
दोहा में इस सप्ताह के अंत में होने वाली बैठकें अगस्त के अंत में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के हटने के बाद पहली हैं, जिसमें 20 साल की सैन्य उपस्थिति समाप्त हुई और तालिबान में सत्ता में आया. अमेरिका ने साफ कर दिया है कि यह बातचीत मान्यता की ओर संकेत नहीं है.

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