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प्रदर्शनों में कमी देखी गई है क्योंकि प्रतिबंधित प्रदर्शन को लेकर गंभीर कानूनी कारवाई की चेतावनी दी गई है।
तालिबान ने 30 सितंबर को महिला अधिकारों के लिए प्रदर्शन कर रही महिलाओं को निशाना बनाया गया है। तालिबान ने हवाई फायरिंग करते हुए इन प्रदर्शनकारियों को प्रदर्शन स्थल से पीछे धकेल दिया। प्रदर्शन कर रही महिलाएं 'हमारे कलम न तोड़ो', 'हमारी किताबें न जलाओ', 'हमारे स्कूल नहीं बंद करो', जैसे बैनर लहरा रही थीं जिसे तालिबान के गार्ड्स ने छीन लिया।
न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट मुताबिक हाई स्कूल के बाहर छह महिलाओं के एक ग्रुप ने लड़कियों के स्कूल में पढ़ाई को लेकर प्रदर्शन कर रही थी। बता दें कि काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान ने लड़कियों को स्कूल में आने से मना कर दिया था। तालिबान ने महिला प्रदर्शनकारियों को जबरन पीछे इसलिए धकेल दिया क्योंकि उन्होंने प्रदर्शन करना जारी रखा था। एक विदेशी पत्रकार से मारपीट भी की गई है क्योंकि वह घटना की तस्वीर खींच रहा था।
प्रदर्शनकारी महिलाएं 'अफगान महिला कार्यकर्ताओं के सहज आंदोलन' नामक ग्रुप से जुड़ी हुई हैं। तालिबान के कारण इन महिलाओं को स्कूल के अंदर शरण लेना पड़ा है। तालिबान के गार्ड मावलवी नसरतुल्लाह ने मामले को लेकर कहा है कि महिलाओं ने विरोध को लेकर सुरक्षा अधिकारियों क्व साथ समन्वय नहीं किया। उन्होंने आगे कहा है कि उन्हें हर देश की तरह अफगानिस्तान में भी विरोध करने का अधिकार है लेकिन उन्हें सुरक्षा संस्थाओं को पहले सूचित करना चाहिए।
तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान में महिलाओं का बुरा हाल है। हेरात शहर में प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर गोली चला दी गई थी जिसमें 2 महिलाओं की मौत हो गई थी। लेकिन हालिया दिनों में प्रदर्शनों में कमी देखी गई है क्योंकि प्रतिबंधित प्रदर्शन को लेकर गंभीर कानूनी कारवाई की चेतावनी दी गई है।
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