महिला मंत्री हुई नाराज, बोली - पाकिस्तान को बनाया जा रहा बलि का बकरा
अमेरिका के रिपबल्किन पार्टी के 22 सांसदों ने अमेरिकी सीनेट में एक विधेयक पेश किया है जिसे लेकर पाकिस्तान में काफी नाराजगी है. इस बिल में अफगानिस्तान में सरकार बना चुके तालिबान और उसके सहयोगी देशों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है. इस विधेयक का नाम अफगानिस्तान काउंटर टेररिज्म, ओवरसाइट एंड अकाउंटबिलिटी एक्ट है. इस प्रस्तावित बिल में ये भी मांग की गई है कि किसी भी देश की सरकार अगर तालिबान की मदद करती है या उन्हें समर्थन देती है तो अमेरिका उस सरकार का रिव्यू कर उस पर संभावित प्रतिबंध भी लगाए. इस विधेयक के एक सेक्शन में तालिबान के लिए समर्थन प्रदान करने वाली संस्थाओं में पाकिस्तान का नाम साफ तौर पर लिखा गया है. इस बिल को लेकर पाकिस्तानी सांसदों ने भी रोष जाहिर किया है.
पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी का कहना है कि अमेरिका का साथ देने के चलते पाकिस्तान को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के 'आतंक के खिलाफ युद्ध' में सहयोगी बनकर साथ देने के बावजूद पाकिस्तान को अब इसकी सजा भुगतनी होगी. मजारी ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट्स में ये बातें कही हैं. शिरीन ने कहा कि अफगानिस्तान में अमेरिका और उसके सहयोगियों की नाकामियों के लिए पाकिस्तान को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. उन्होंने अपने ट्वीट्स में लिखा कि तो एक बार फिर पाकिस्तान को अमेरिका का साथ देने के चलते बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि अशरफ गनी के अफगानिस्तान छोड़ने और अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के बाद अमेरिका की सीनेट में एक विधेयक पारित किया गया है जिसमें तालिबान पर प्रतिबंध लगाने की बात की गई है.
उन्होंने अपने एक और ट्वीट में लिखा कि आर्थिक और सैन्य रूप से शक्तिशाली अमेरिका और नाटो ने 20 साल अफगानिस्तान में रहने के बावजूद बिना किसी स्थिर शासन ढांचे के अफगानिस्तान में अराजकता फैलाने का काम किया है और पाकिस्तान को अफगानिस्तान की इस असफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. ये हमारी लड़ाई कभी थी ही नहीं. हमारे 80 हजार लोगों को नुकसान पहुंचा. हमारी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा. हमें अपने तथाकथित दोस्त अमेरिका द्वारा 450 ड्रोन हमले झेलने पड़े. उन्होंने अपने एक और ट्वीट में लिखा कि अब बस बहुत हो चुका है. पाकिस्तान को टारगेट करने के बजाए ये समय उन ताकतों को अपनी असफलताओं को लेकर मंथन करने का है जो अफगानिस्तान में मौजूद थीं क्योंकि पाकिस्तान ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है. पाकिस्तान में जानें गई हैं, सोशल, इकोनॉमिक और रिफ्यूजी स्तर पर नुकसान झेलना पड़ा है. हमने लगातार शोषण झेला है, एक ऐसे युद्ध के लिए जो हमारा कभी था ही नहीं.