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Woman ने एक घंटे पहले मांगी छुट्टी, कंपनी ने किया इनकार, अब चुकानी पड़ी इतनी रकम

Renuka Sahu
7 Sep 2021 3:00 AM GMT
Woman ने एक घंटे पहले मांगी छुट्टी, कंपनी ने किया इनकार, अब चुकानी पड़ी इतनी रकम
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फाइल फोटो 

ब्रिटेन की एक कंपनी को महिला कर्मचारी को जल्दी छुट्टी नहीं देना बहुत भारी पड़ा.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ब्रिटेन की एक कंपनी (British Company) को महिला कर्मचारी (Female Employee) को जल्दी छुट्टी नहीं देना बहुत भारी पड़ा. एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने कंपनी को आदेश दिया है कि महिला को बतौर मुआवजा 180,000 पाउंड का भुगतान किया जाए. इंडियन करेंसी में ये रकम लगभग दो करोड़ हो जाती है. महिला कर्मचारी ने ट्रिब्यूनल के फैसले पर खुशी व्यक्त करते हुए उम्मीद जताई है कि अन्य कंपनियां भी महिलाओं की परेशानी को समझेंगी.

Sales Manager थीं Thompson
ऐलिस थॉम्पसन (Alice Thompson) लंदन स्थित एक एस्टेट कंपनी में सेल्स मैनेजर (Sales Manager) के तौर पर काम करती थीं. उन्होंने सप्ताह में चार दिन और शाम छह के बजाये पांच बजे तक काम करने की इजाजत मांगी थी. थॉम्पसन ने तर्क दिया था कि उनकी बच्ची छोटी है, इसलिए उन्हें एक घंटा पहले छुट्टी दी जाए, लेकिन कंपनी ने इससे इनकार कर दिया.
Boss को बताई थी परेशानी
ऐलिस थॉम्पसन ने अपने बॉस को बताया था कि वो अपने बच्ची को चाइल्ड केयर में छोड़कर आती हैं, जो पांच बजे बंद हो जाता है, इसलिए उन्हें एक घंटा पहले छुट्टी दी जाए. मगर बॉस ने उनकी दलीलों को नजरअंदाज करते हुए कहा कि इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. बॉस ने एक घंटे पहले काम खत्म करने को पार्ट टाइम जॉब माना और थॉम्पसन के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया.
Thompson को देना पड़ा था इस्तीफा
कंपनी Manors Estate के इनकार के बाद ऐलिस थॉम्पसन को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी. इसके बाद उन्होंने कंपनी के खिलाफ एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल (Employment Tribunal) का दरवाजा खटखटाया. थॉम्पसन ने कंपनी पर लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि वह नहीं चाहतीं कि जो कुछ उन्हें सहना पड़ा है वो उनकी बेटी को भी आगे चलकर सहना पड़ा, इसलिए उन्हें कंपनी के खिलाफ अपील दायर की है.
Tribunal ने कंपनी को लगाई फटकार
एम्प्लॉयमेंट ट्रिब्यूनल ने ऐलिस थॉम्पसन की दलीलों को स्वीकार करते हुए Manors Estate के रवैये को गैर-जिम्मेदार करार दिया. इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने कंपनी को आदेश दिया कि थॉम्पसन को मुआवजे के रूप में 180,000 पाउंड का भुगतान किया जाए. ट्रिब्यूनल ने अपने फैसले में कहा, 'नर्सरी आमतौर पर पांच बजे बंद हो जाती हैं, ऐसे में एक मां को छह बजे तक काम करने के लिए मजबूर करना पूरी तरह गलत है. इस स्थिति में उसके बच्चे का ख्याल कौन रखेगा'?


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