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डब्ल्यूएमओ की चेतावनी: अगले 5 साल में धरती 40 फीसदी और गर्म हो सकती है...क्या इसे तबाही कहेंगे?

Neha Dani
30 May 2021 3:11 AM GMT
डब्ल्यूएमओ की चेतावनी: अगले 5 साल में धरती 40 फीसदी और गर्म हो सकती है...क्या इसे तबाही कहेंगे?
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लेकिन सिर्फ इन देशों के एकसाथ आकर कोई कदम उठाने भर से काम नहीं चलेगा। इसके लिए दुनिया के सारे देशों को एकसाथ आना होगा।

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगले पांच साल में धरती का तापमान 40 फीसदी बढ़ सकता है। इससे गर्मी के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट जाएंगे। साथ ही पेरिस पर्यावरण समझौते के तहत किए जा रहे कामों की धज्जियां उड़ जाएंगी। ये चेतावनी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने जारी की है।

इस संगठन के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि 2025 सबसे गर्म साल होने का रिकॉर्ड तोड़ देगा। इसके लिए यह संगठन 90 प्रतिशत का पुख्ता होने का दावा कर रहा है। इसके अलावा अटलांटिक महासागर में भयावह स्तर के हरिकेन (Hurricanes) आने की आंशका है।
इस साल के लिए डब्ल्यूएमओ की भविष्यवाणी ये है कि धरती के उत्तरी गोलार्ध पर मौजूद देशों का तापमान 0.8 डिग्री सेल्सियस बढ़ेगा। ये तापमान पिछले कुछ दशकों से ज्यादा है। अमेरिका के दक्षिण-पश्चिम में चल रहा सूखा अभी लगातार इसी स्थिति में रहेगा यानी धरती के उत्तरी गोलार्ध के देश जिसमें अधिकतर महाद्वीप आ जाते हैं, वो इस साल औसत से ज्यादा तापमान बर्दाश्त करेंगे।
डब्ल्यूएमओ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अगले पांच सालों में से किसी एक साल का तापमान औद्योगिक काल की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहेगा। इस मामले में पेरिस पर्यावरण समझोते के तह ग्लोबल वार्मिंग कम करने के सारे प्रयासों की धज्जियां उड़ सकती हैं। इस समय दुनिया औद्योगिक काल की तुलना में 1.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म है। पिछले साल इसी संगठन ने 40 फीसदी के बजाय 20 फीसदी ज्यादा गर्म होने की भविष्यवाणी की थी।
यूनाइटेड किंगडम के मौसम विज्ञानी लियो हर्मेन्सन ने कहा कि तापमान में दोगुनी वृद्धि का मतलब है टेक्नोलॉजी का बदलना यानी ऐसी तकनीकी जो बदल तो रही है, लेकिन उससे गर्मी भी बढ़ी रही है। हमने कभी ध्रुवीय इलाकों पर ध्यान ही नहीं दिया है। वहां की हालत दिन-प्रति-दिन खराब होती जा रही है।
डब्ल्यूएमओ की चेतावनी का मतलब साफ है कि सभी देशों और उनकी सरकारों को पर्यावरण और धरती को बचाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे। पेंसिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के पर्यावरण वैज्ञानिक माइकल मान ने कहा कि ये बात तो सच है कि दुनिया पेरिस में हुए समझौते को पूरा नहीं कर पाएगी। समझौते में जो समय तय किया गया है ग्लोबल वार्मिंग को कम करने का, उससे पहले धरती और गर्म हो जाएगी। ये बात तो पक्का है कि अगले पांच साल में से कोई एक या दो साल ऐसा होगा जो औसत तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म होगा। माइकल मान ने कहा कि इसे रोका जा सकता है लेकिन तत्काल कई सख्त फैसले लेने होंगे।
डब्ल्यूएमओ के सेक्रेटरी जरनल प्रोफेसर पेटेरी टालस ने कहा कि ये सिर्फ आंकड़ें नहीं है. ये उससे कहीं ज्यादा है. लगातार बढ़ रहे तापमान की वजह से बर्फ पिघल रही है, समुद्री जलस्तर में इजाफा हो रहा है। ज्यादा हीटवेव्स देखने को मिल रही है। इसकी वजह से दुनिया भर की आबादी खाने के लिए तरसेगी। खाना, सेहत, पर्यावरण और सतत विकास इन चारों पर इसका व्यापक असर पड़ेगा।
ऐसा माना जा रहा है कि यूके में 11 से 13 जून को होने वाले जी-7 लीडर्स समिट में पर्यावरण को लेकर गंभीर चर्चा होने वाली है। क्योंकि दुनिया के कुछ बड़े देशों की भविष्यवाणी भी डब्ल्यूएमओ के बराबर ही है। ये देश हैं स्पेन, जर्मनी, कनाडा, चीन, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, नॉर्वे और डेनमार्क। लेकिन सिर्फ इन देशों के एकसाथ आकर कोई कदम उठाने भर से काम नहीं चलेगा। इसके लिए दुनिया के सारे देशों को एकसाथ आना होगा।

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