बीजिंग विंटर ओलंपिक में पहली बार पूरी तरह कृत्रिम बर्फ का इस्तेमाल हो रहा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे वैश्विक तापमान वृद्धि पर काफी ज्यादा असर पड़ेगा. अगर यही हाल रहा, तो शीतकालीन खेलों का अस्तित्व खत्म हो सकता है.इस बार विंटर ओलंपिक का आयोजन चीन में किया जा रहा है. यह आयोजन 4 फरवरी 2022 से 20 फरवरी 2022 तक होगा. इसमें डाउनहिल स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग जैसे खेल भी शामिल हैं जिनके लिए काफी ज्यादा बर्फ की जरूरत होती है. लेकिन चीन में जिस जगह पर इस खेल का आयोजन किया जा रहा है वहां पारंपरिक रूप से काफी कम बर्फ होती है. यह समस्या 2014 में भी सामने आयी थी. उस समय इस खेल का आयोजन रूस के सोची में हुआ था. यह इलाका उपोष्णकटिबंधीय (मकर रेखा तथा कर्क रेखा के समीप का क्षेत्र) था. चीन में डाउनहिल स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग का आयोजन यांगकिंग और जांगजिआकू के बंजर पहाड़ों में किया जाना है. यहां पूरी तरह कृत्रिम बर्फ का इस्तेमाल किया जाएगा. ऐसे में इसका काफी ज्यादा असर पर्यावरण पर होगा. स्ट्राउससबर्ग यूनिवर्सिटी में हाइड्रोलॉजी की प्रोफेसर कारमेन डी जोंग ने बीजिंग में होने वाले शीतकालीन खेलों के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव पर शोध किया है. वह कहती हैं, "बर्फ का उत्पादन करने वाली तोपें न सिर्फ काफी ज्यादा ऊर्जा का इस्तेमाल करती हैं, बल्कि इसके लिए 30 किलोमीटर दूर से पानी भी लाना पड़ता है" हालांकि, बर्फ बनाने की प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि कई और भी कारण हैं जिनकी वजह से डी जोंग ने इस साल के विंटर ओलंपिक को 'अब तक का सबसे अस्थिर खेल' करार दिया है. वह कहती हैं कि स्की रन बनाने के लिए काफी पेड़ों को काटा गया है जिसके कारण मिट्टी का कटाव बढ़ जाएगा. साथ ही, खेल गांव बसाने और बुनियादी ढांचे जैसे कि सड़क और पार्किंग का निर्माण करने के लिए भी भारी मशीनों का इस्तेमाल किया गया है. एक अनुमान के मुताबिक, इससे एक करोड़ टन कार्बन का उत्सर्जन हुआ है.