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पृथ्वी के बाहर जीवन के साथ-साथ वायरस भी मिलेगा?

Gulabi
9 Sep 2021 4:25 PM GMT
पृथ्वी के बाहर जीवन के साथ-साथ वायरस भी मिलेगा?
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पृथ्वी के बाहर जीवन की तलाश शिद्दत से की जा रही है

पृथ्वी के बाहर जीवन की तलाश शिद्दत से की जा रही है. मंगल ग्रह और चंद्रमा पर मानव भेजने की तैयारियां भी जारी है, लेकिन सुदूर बाह्यग्रहों का अध्ययन भी किया जा रहा है जिससे हमारे ग्रह के अलावा ब्रह्माण्ड में मौजूद अतिबुद्धिमान जीवन (Intelligent life) के संकेत मिल सकें. इन सब का मकसद ना केवल नए जीवन की तलाश है, बल्कि पृथ्वी पर बेहतर और सुरक्षित जीवन बनाने में सहायता करना भी है. अमेरिकी शोध में यह आशंका जताई जा गई है कि एलियंस (Aliens) की तलाश में इस बात की बहुत संभावना है कि हमें बहुत सारे वायरस (Viruses) भी मिल सकते हैं.

अमेरिका में ये प्रयास भी
हाल ही में द वर्ज ने अनआइडेंटिफाइड एरियर फिनोमिनॉन पर रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस में जमा की है. और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने भी पृथ्वी के बाहर बुद्धिमान जीवन की खोज के ले एक पूरी परियोजना बनाई है जिसे द गैलिलियो प्रोजेक्ट नाम दिया गया है. नासा पहले ही मंगल पर जीवन के संकेत खोज रहा है.
जीवन के साथ वायरस भी
इसी बीच ऐरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोबायोलॉजीस्ट पॉल डेविस का कहना है कि यदि एलियंस मौजूद हैं तो उनकी खोज के नतीजे में हमें बहुत सारे वायरस भी मिल सकते हैं. पॉल एएसयू के बियोंड सेंटर फॉर फंडामेटल कन्सेप्ट्स के निदेशक भी हैं. उनकी दलील है कि जीवन का जो भी स्वरूप है, उसे कायम रखने के लिए बड़ी विविधता वाले सूक्ष्मजीवों की जरूरत होगी जिसें वायरस भी शामिल हो सकते हैं.
जटिल और सतत जीवन के लिए जरूरी
डेविस ने गार्जियन की रिपोर्ट में बताया कि वायरस जीवन का हिस्सा होते हैं. उनके मुताबिक अगर दूसरे ग्रहों में सूक्ष्मजीवन है, तो सतत, संधारणीय जीवन के लिए जरूरी है की वहां पूरी जटिलता और मजबूती हो जहां जेनिटक जानकारी का आदान प्रदान भी हो रहा हो. उनका दावा है कि जहां भी एलियंस मिलेंगे वहां सूक्ष्मजीवों का एक पारिस्थितिकी तंत्र जरूर होगा.
कितने खतरनाक हो सकते हैं ये वायरस
डेविस का कहना है कि जहां एलियन वायरस का विचार डरावना लग सकता है, इंसान को इससे घबराने की जरूरत नहीं है. उनका कहना है कि आसपास के जीवों के लिए अनुकूलन होने पर ही वायरस खतरनाक हो सकते हैं. यदि वास्तव में कोई एलियन वायरस हुए तो दूर रहने पर वे खतरनाक होंगे इसकी संभावना कम ही है.
खतरनाक वायरस की बातें क्यों
दरअसल खतरनाक वायरस की अवधारणा कोविड-19 महामारी से और ज्यादा चर्चित हुई है. इससे पहले बहुत सी हॉरर फिल्मों में किसी खतरनाक वायरस के दुनिया पर हमले कि कहानियां भी लोकप्रिय होती रही हैं. जीवविज्ञान में एक आक्रामक या इनवेजिव प्रजाति की अवधारणा है जिसमें जैवविविध दुनिया में एक नई प्रजाति के आने से मौजूदा प्रजातियों के अस्तित्व संकट में आ जाता है.
यह संघर्ष तो जरूरी है
आक्रमक प्रजाति की धारणा एक अटल सच की तरह है. पृथ्वी के इतिहास में ऐसे की जीव हैं जिनके आने के बाद कुछ प्रजातियों को सफाया हो गया है. चार्ल्स डार्विन के अस्तित्व के सिद्धांत में भी इसी का जिक्र है. नई प्रजातियों से पुरानी प्रजातियों का संघर्ष स्वाभाविक है. लेकिन खतरनाक वायरस का स्रोत एलियंस या पृथ्वी के बाहर से आने वाली सामग्री हो यह जरूरी नहीं हैं.
फिर भी इंसान ने कभी भी खतरनाक वायरस के डर से अपने खोजें कभी नहीं रोकी हैं. आखिर कोरोनावायरस भी तो एलियंस से नहीं आया था, लेकिन हमें उससे लड़ रहे हैं. हर साल लाखों की संख्या में नए सूक्ष्मजीवी पैदा होते हैं जिनमें काफी तादात में वायरस भी होते हैं. प्रकृति के इस बदलाव के नियम को हम रोक नहीं सकते, लेकिन बदलावों के मुताबिक खुद को ढाल जरूर सकते हैं
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