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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
नई दिल्ली: चीन की तमाम धमकियों के बावजूद आखिरकार अमेरिका की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई हैं. पेलोसी के दौरे से चिढ़कर चीन अब ताइवान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. चीन ने ताइवान से आयात किए जाने वाले खट्टे फल, सफेद धारीदार हेयरटेल (मछली) और फ्रोजन हॉर्स मैकेरल (मछली) के आयात पर रोक लगा दी है. इससे पहले चीन ने कहा था कि वह अगस्त से ताइवान को प्राकृतिक रेत के निर्यात पर रोक लगा देगा.
अमेरिका में नंबर तीन की ताकत रखने वाली स्पीकर नैंसी पेलोसी मंगलवार रात 8 बजकर 14 मिनट पर ताइवान पहुंची हैं. उनकी फ्लाइट के लैंड होने के तुरंत बाद चीन ने ताइवान में targeted military actions यानी चुनकर सैन्य ठिकानों पर हमले की बात कही. अमेरिका से पेलोसी के ताइवान पहुंचने के बाद चीन ने गुरुवार से ताइवान के छह तरफ सैन्य अभ्यास का एलान किया है. इस ड्रिल में J-20 stealth fighter jets को भी शामिल किया गया है.
ताइवान के आसपास होने वाली चीन की मिलिट्री एक्सरसाइज बेहद अलग और चिंता बढ़ाने वाली होगी. इसमें चीन ताइवान को चारों तरफ से घेरकर छह इलाकों में मिलिट्री ड्रिल करेगा. चीनी सेना ने कहा है कि वह गुरुवार से रविवार तक ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में जरूरी मिलिट्री ड्रिल करेगा. इसमें लाइव फायर ड्रिल भी शामिल होंगी.
PLA ईस्टर्न थियेटर कमांड ताइवान के आसपास ज्वाइंट मिलिट्री एक्शन करेगी. इसमें द्वीप (ताइवान) के आसपास नॉर्थ, साउथ वेस्ट और साउथ ईस्ट में लंबी दूरी वाली तोपों से शूटिंग होगी. इसके अलावा आइलैंड के पूर्व में मिसाइल टेस्ट की फायरिंग होगी. चीन की मिनिस्ट्री ऑफ नेशनल डिफेंस ने कहा है कि पेलोसी के ताइवान दौरे के काउंटर में PLA targeted military operations करेगी. कहा गया है कि चीन राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करेगा.
ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी. तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं, लेकिन इसपर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है. दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई. उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी.
1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया. हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए. उसी साल चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा. चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा. वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है. उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है.
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